इंदौर. किसान आंदोलन के 36 घंटे पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के मंदसौर दौरे के खास मायने हैं। सीएम आंदोलन के प्रमुख केंद्र मंदसौर से किसानों का मिजाज भांपने की कोशिश करने यहां पहुंच रहे हैं। किसान आंदोलन और राहुल गांधी की सभा के पहले सीएम का यह दौरा राजनीतिक रूप से काफी खास है। दौरे के बीच पुलिस की गोली से मरे किसानों के परिजनों ने सीएम की यह कहते हुए चिंता बढ़ा दी है कि वे आंदोलन के साथ खड़े हैं। वे 1 से 10 जून तक अपनी कोई उपज बेचने बाहर नहीं निकलेंगे। एेसे में सीएम किसानों के गुस्से को कम करने के लिए सभा के जरिए कोई बड़ी सौगात दे सकते हैं।
क्यों गरम है राजनीति
1 - पिछले साल किसानों ने उपज का दोगुना दाम सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन किया था। शांतिपूर्वक आंदोलन ने जल्द ही उग्र रूप ले लिया था। प्रदेशभर में इस आंदोलन के दौरान उपद्रवियों ने कई जगह आगजनी कर दी थी। मंदसौर में भड़की हिंस्सा में 6 किसानों की गोली लगने से मौत हो गई थी। आंदोलन का केंद्र उस समय भी मंदसौर था।
2 - 15 साल से सत्ता से दूर कांग्रेस सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने की कोशिश में लगी है। वह 6 जून को मंदसौर में गोलीकांड की बरसी पर राहुल गांधी का सभा करने जा रही है। इस सभा में कांग्रेस मृत किसानों के परिजनों को सभा में लाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि सीएम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि वे किसानों के गुस्से को शांत कर सकें। वे इसके लिए किसानों के लिए कई घोषणाएं कर चुके हैं।
3 - इसके पहले सीएम किसान आंदोलन में मारे गए किसान के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए के मुआवजे के साथ परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी दे चुके हैं। सरकार को उम्मीद थी कि इसके बाद मामला शांत हो जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। किसानों का कहना है कि आंदोलन के बाद सरकार ने भावांतर योजना शुरू की, लेकिन वह भी किसानों के बजाय व्यापारियों को ज्यादा फायदा देने वाली साबित हो रही है।
4 - उत्पादन की शुरुआत में और आखिर में उपज का भाव ज्यादा रहता है लेकिन मध्य में बहुत कम हो जाता है जिसका फायदा व्यापारी उठा रहे हैं। किसान इस बात से भी खफा हैं कि आंदोलन के बाद 7000 किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए थे जो सरकार ने वापस नहीं लिए। जैन आयोग की रिपोर्ट अभी तक प्रस्तुत नहीं होना भी किसानों के गुस्से का बड़ा कारण है।
5- राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो सीएम का यह दौरा राजनीतिक रूप से भी खासा महत्वपूर्ण है। इस दौरे से सीएम किसानों का मूड भांपने की कोशिश करेंगे। क्योंकि मंदसौर विस में 8 में से 7 सीटों पर बीजेपी विधायक हैं। अभी चुनाव में 6 महीने बाकी हैं। ऐसे में सीएम इस दौरे के जरिए जनता के मूड को भांपते हुए आगामी चुनाव में रणनीति तैयार करेंगे।
मृत किसानों के परिजन ने शिवराज से पूछे सवाल
पुलिस पर क्यों नहीं लगी धारा 302?
1 - किसान आंदोलन के दौरान हुए गोलीकांड में मृत बरखेड़ापंथ (मंदसौर) के अभिषेक पाटीदार के पिता दिनेश के अनुसार मुआवजे के 1 करोड़ रुपए और बड़े भाई संदीप को नौकरी मिल गई है। अभी तक अभिषेक को शहीद का दर्जा नहीं मिला। उन पुलिसकर्मियों पर धारा 302 में कार्रवाई भी नहीं हुई जिनकी गोली लगने से बेटे की मौत हुई। किसानों को उपज की लागत नहीं मिल रही है।
क्यों नहीं सुधरी किसानों की स्थिति?
2 - आंदोलन में पुलिस की गोली लगने से लोध गांव के सत्यनारायण धनगर की भी मौत हो गई थी। उनके भाई कन्हैयालाल धनगर कहते हैं कि हमारी शासन-प्रशासन से कोई विशेष मांग नहीं है। जिन मांगों को लेकर पहले आंदोलन हुआ था, वे अब भी पूरी नहीं हुई हैं। किसानों की स्थिति में कोई भी सुधार नहीं हुआ है इसलिए हम 1 से 10 तक चलने वाले आंदोलन का समर्थन करेंगे।
बबलू को नौकरी कब मिलेगी?
3 - टकरावद के बालाराम पाटीदार के अनुसार गोलीकांड में मृत बबलू मेरे छोटे भाई का बेटा था। प्रशासन ने उसकी पत्नी अनीता को नौकरी प्रदान की है लेकिन वह पीहर में रहने लगी है। पहले प्रशासन ने बबलू के भाई को नौकरी देने का कहा था। बहू अनीता भी इसमें राजी थी। बबलू की माताकी देखभाल मैं व मेरा बेटा करते हैं। पता नहीं बबलू को नौकरी कब मिलेगी।
हम किसानों के साथ, उपज कैसे बेच दें?
4 - चिलोद पिपलिया के कारूलाल पाटीदार गोलीकांड में मृत छोटे भाई कन्हैयालाल को शहीद का दर्जा नहीं मिलने से खफा हैं। बताया हमने छोटे भाई की पत्नी के बजाय उसके 13 वर्षीय बेटे जितेंद्र को पढ़ाई के बाद योग्यता अनुसार नौकरी देने का कहा है। हम 6 को बूढ़ा में किसानों को श्रद्धांजलि देंगे। अन्य किसानों का समर्थन करते हुए 1 से 10 जून तक गांव से बाहर उपज नहीं भेजेंगे।
पानी की व्यवस्था नहीं कर पाई सरकार?
5 - पुलिस की पिटाई के बाद मृत बड़वन के किसान घनश्याम धाकड़ के पिता दुर्गालाल ने बताया बेटे की मौत के बाद प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि आपका मकान गांव से एक किमी दूर असुरक्षित इलाके में है, इसलिए गांव में बनवा देंगे, नलकूप खनन करवाएंगे, बच्चों का स्कूल का खर्चा सरकारी उठाएगी। कलेक्टर को 15 बार लिखित आवेदन दिए लेकिन कुछ नहीं हुआ।
सीएम का आश्वासन भी पूरा नहीं हुआ?
6 - नीमच के नयाखेड़ा के गोविंद पाटीदार के अनुसार प्रशासन आंदोलन में मृत भाई चैनराम की पत्नी पुष्पा को नौकरी देना चाहता। चूंकि विवाह घटना के 1 माह पूर्व हुआ था इसलिए भाभी पुष्पा मायके में रहने लगी है। परिवार चाहता है नौकरी मुझे मिले। सीएम ने भी इसके लिए आश्वस्त किया था पर कुछ नहीं हुआ। गांव की 2 किमी सड़क भी नहीं बनी। हम भी 1 से उपज नहीं बेचेंगे।
सुरक्षा व्यवस्था के लिए 11 जोनल आईजी को अतिरिक्त फोर्स दिया
- किसान आंदोलन के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय ने सुरक्षा व्यवस्था के लिए 11 जोनल आईजी को अतिरिक्त फोर्स दे दिया है। इसमें उज्जैन, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, चंबल, जबलपुर जैसे बड़े जोन में लगभग 500-500 रंगरूट (नव आरक्षक) और एसएएफ की दो कंपनियां (लगभग एक कंपनी में 100 जवान) दिए गए हैं। इस प्रकार बड़े जोन को लगभग 700 जवान अतिरिक्त दिए गए हैं। जिन जिलों में आंदोलन का असर नहीं होगा, वहां एक-एक कंपनी दी गई है।
- जरूरत पड़ी तो जिलों को देंगे फोर्स
- डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि किसान आंदोलन शांतिपूर्वक होगा। जिलों को अतिरिक्त फोर्स दिया गया है। एसपी प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। किसानों के साथ संवाद भी कर रहे हैं। आईजी इंटेलीजेंस मकरंद देउस्कर का कहना है कि जोनल आईजी के पास अतिरिक्त फोर्स होगा। वही जरूरत पड़ने पर जिलों में फोर्स का मूवमेंट करेंगे। इसके अतिरिक्त एसएएफ की 89 कंपनियां कानून व्यवस्था के लिए दी गई हैं। आंदोलन के उग्र होने की स्थिति में आरएएफ की कंपनियों को भेजा जाएगा।
राहुल गांधी के कार्यक्रम के लिए एक कंपनी अलग से
- राहुल गांधी की सभा के दौरान उनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक अतिरिक्त कंपनी मंदसौर के लिए भेजी जाएगी। उनकी सुरक्षा व्यवस्था में 200 से ज्यादा जवान और पुलिस अधिकारी तैनात रहेंगे।
मुचलके भरवाना एक प्रक्रिया का हिस्सा : भूपेंद्र सिंह
- किसानों से मुचलके भरवाने को लेकर गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि यह सामान्य नियम व प्रक्रिया है। इसका निर्णय कलेक्टर व एसपी लेते हैं। शासन की तरफ से इसे लेकर कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। शांति भंग की आशंका में प्रशासन अपनी कार्यवाही कर रही है।
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