इंदौर/भोपाल। हर साल गर्मी में पानी को लेकर मचे हाहाकार की भयावह स्थिति सामने आती है। सरकारी वादों और दावों के बीच हकीकत यह है कि नगरीय निकायों की बदइंतजामी के कारण लोगों को प्यासा रहना पड़ता है। पानी के सप्लाय के दौरान लीकेज बड़ी समस्या है। इसमें लाखों लीटर पानी हर दिन व्यर्थ बह रहा है।
जानकारों का कहना है कि पाइप लाइन में लीकेज रोककर और नलों में टोटियां लगाकर जलसंकट की भयावह स्थिति को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
प्रदेश में जल वितरण की स्थिति
इंदौर- उज्जैन संभाग
इंदौर शहर में नर्मदा का पानी जलूद से लाया जाता है। 70 किमी दूर से लाए पानी को बांटने में करीब 15 प्रतिशत तक पानी बर्बाद हो रहा है। यह पानी चार से पांच लाख की जनसंख्या को पिलाने के लिए काफी है। बर्बादी में सबसे बड़ा कारण लीकेज, वॉल्व सीपेज, टंकी सीपेज और टंकी का ओवरफ्लो होना आदि शामिल हैं।
उज्जैन में हर दिन 4 मिलियन क्यूबिक फीट, झाबुआ में 1 लाख लीटर, खंडवा में डेढ़ मिलियन लीटर, नीमच में 10 हजार लीटर, खरगोन में 20 हजार लीटर, शाजापुर में एक लाख लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।
महाकोशल-विंध्य
जबलपुर में करीब 90 एमएलडी पानी प्लांट से घर तक पहुंचने में ही बर्बाद हो जाता है। बालाघाट, शहडोल, सिवनी, कटनी, रीवा, मंडला, डिंडौरी, नरसिंहपुर, शहडोल में भी लाखों लीटर पानी लापरवाही के कारण व्यर्थ बह रहा है।
भोपाल
प्रदेश की राजधानी में 103 एमजीडी पानी नगर निगम शहर में सप्लाई करता है। इसमें से 15 फीसदी पानी लीकेज में बर्बाद हो जाता है। यानी 15 एमजीडी से अधिक पानी वेस्ट हो रहा है।
ग्वालियर
नगर निगम और जिला प्रशासन ने पानी बचाने के लिए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है, लेकिन इस रोक के बाद भी पूरे शहर में धड़ल्ले से निर्माण कार्य हो रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू
ठेका सिस्टम सुधारने से रुकेगा लीकेज
हमारे यहां पाइप लाइन के ठेका सिस्टम में ही गड़बड़ी है। जब तक ये सिस्टम ठीक नहीं किया जाएगा, पानी का लीकेज भी नहीं रुकेगा। टेंडर हासिल करने के बाद घटिया मटेरियल लगता है और अधिकतर लीकेज इसी कारण होते हैं। पेपर पर तो सिस्टम बहुत अच्छा दिखता है लेकिन क्रियान्वयन कैसे हो रहा है, इस पर निगरानी का सिस्टम मजबूत होगा तभी पानी की बर्बादी स्र्क सकेगी।
- तापस सरस्वती, हाइड्रो जियोलॉजिस्ट
सरपंचों को निर्देश देंगे
वैसे आशंका कम है कि ग्रामीण क्षेत्र में लीकेज हो, फिर भी अगर ऐसा है तो सरपंचों को इसे सुधारने के निर्देश दिए जाएंगे।
केके सोनगरिया, प्रमुख अभियंता, पीएचई
चार बड़े शहरों में ही रोजाना बह जाता है 22 लाख लोगों का पानी
शहर पानी वितरण (एमएलडी) बर्बादी (एमएलडी) कितने लोगों का पानी
इंदौर 480 70 5 लाख
भोपाल 450 67.5 5 लाख
जबलपुर 210 90 7 लाख
ग्वालियर 212.32 70.75 5 लाख
(नगर निगम के अनुसार, इसमें जबलपुर का सर्वे सबसे ताजा है।)
10 बड़े शहरों के होटल में रोजाना बर्बाद हो रहा है एक लाख लीटर पीने का पानी
होटल एंड रेस्त्रां एसोसिएशन के आकलन के मुताबिक एक होटल में अमूमन 100 लीटर पानी लोग जूठा छोड़ देते हैं। इंदौर में एसोसिएशन से जुड़े हुए 91 और अन्य लगभग 150 होटल हैं। इस हिसाब से सिर्फ इंदौर में ही 15 हजार लीटर पीने का पानी रोजाना बर्बाद हो जाता है। प्रदेश के 10 संभाग मुख्यालय में औसतन 100 बड़े होटल हैं, जिनमें इतना ही पीने का पानी रोजाना बर्बाद होता है। इस हिसाब से एक लाख लीटर पानी रोजाना लोग गिलास में जूठा छोड़ देते हैं।
हम बचाएंगे, लोग भी पहल करें
पानी बचाने के लिए होटल एसोसिएशन आधा गिलास पानी अभियान की पहल कर रहा है। इसके पीछे मकसद है कि जिसको जितना पानी चाहिए, वह मिले, लेकिन बर्बाद न हो। हम यह पहल कर रहे हैं। आम नागरिक भी इसे रोजमर्रा के जीवन में अपना सकते हैं।
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