सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। सोने के गहनों की शुद्धता के नाम पर होने वाली ठगी पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। देश में स्वर्णाभूषणों पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने का फैसला किया गया है। इसके बावत नए दिशानिर्देश इसी सप्ताह जारी किए जाने की संभावना है। इसके बाद हॉलमार्किंग के बगैर कोई स्वर्णाभूषण बाजार में बेचना संभव नहीं होगा। इसके लिए सभी ज्वैलर्स को हॉलमार्किंग का लाइसेंस लेना जरूरी होगा।
फिलहाल सोने के गहनों की हॉलमार्किंग स्वैच्छिक है। सोने की गुणवत्ता का मसला उपभोक्ताओं और ज्वैलर्स के बीच भरोसे पर छोड़ दिया गया था। लेकिन अब सरकार ने इस पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है। प्रस्तावित हॉलमार्किंग में 22 कैरट, 18 कैरट और 14 कैरट के सोने की शुद्धता मापी जाएगी। अनिवार्यता के इस नए प्रावधान को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा ताकि स्वर्णाभूषण बनाने वाले जौहरियों को कोई दिक्कत न आने पाए। फिलहाल देश में तकरीबन ढाई लाख से ज्यादा जौहरियों में से केवल 25 हजार ने ही लाइसेंस ले लिया है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय की ओर से जारी होने वाले दिशानिर्देशों पर हर हाल में अगले छह महीने के भीतर अमल करना जरूरी होगा। राज्यों की राजधानी व अन्य बड़े शहरों को इसी अवधि में प्रावधानों को लागू करना होगा। लेकिन दूरदराज और छोटे शहरों के लिए थोड़ी और रियायत देते हुए एक साल का समय दिया जा सकता है। इसके लिए राज्य सरकारें अपने यहां के सभी जौहरियों को इस बारे में पूरी जानकारी तो देंगी ही, साथ में उन्हें हॉलमार्किंग की नई गाइडलाइन के बारे में विस्तार से बताएंगी भी।
सूत्रों के मुताबिक उपभोक्ता मामले मंत्रालय के इस मसौदे को कानून मंत्रालय की हरी झंडी मिल चुकी है। नीति आयोग ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को लागू करने का सुझाव दिया था। फिलहाल देश में हॉलमार्किंग वाले सोने के गहने की बिक्री चुनिंदा जौहरी ही करते हैं क्योंकि प्रावधान को लागू करने की अनिवार्यता नहीं है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
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