मल्टीमीडिया डेस्क। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही नौतपा शुरू हो जाएगा। इस बार सूर्य 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में शाम 7.53 पर प्रवेश कर जाएगा, जो 3 जून तक रहेगा। नौतपा साल के वे 9 दिन होते हैं जब सूर्य पृथ्वी के सबसे निकट आ जाता है, जिस कारण भीषण गर्मी पड़ती है।
इस दौरान अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। जहां तक हो सके धूप में निकलने से बचें। इसके साथ ही ग्लूकोज को साथ रखें और समय-समय पर जब भी पानी की कमी महसूस हो, ग्लूकोज के साथ इसे पीएं।
जिस समय में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आते हैं, उस समय चंद्रमा नौ नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं। यही कारण है कि इसे नौतपा कहा जाता है। रोहिणी के दौरान अगर बारिश होती है, तो इसे रोहिणी का गलना कहा जाता है। मान्यता है कि यदि रोहिणी नक्षत्र में बारिश हो जाती है तो आने वाले बारिश के मौसम में वर्षा बहुत कम होती है।
तेज गर्मी यानी अच्छी बारिश
ऐसा माना जाता है कि सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण मॉनसून गर्भ में आ जाता है और नौतपा ही मानसून का गर्भकाल माना जाता है। इस महीने में सूर्य के वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक नौतपा कहलाता है। इस दौरान तेज गर्मी रहने पर बारिश के अच्छे योग बनता है।
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सूर्य 8 जून तक 23 अंश 40 कला तक रहेगा। दरअसल, रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा होता है। सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक माना जाता है, जबकि चंद्र शीतलता का प्रतीक होता है। सूर्य जब चांद के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है, तो सूर्य इस नक्षत्र को अपने प्रभाव में ले लेता है। इसके कारण ताप बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस दौरान ताप बढ़ जाने के कारण पृथ्वी पर आंधी और तूफान आने लगते हैं।
2 आषाढ़ बनाएंगे खंड वर्षा योग
इस बार दो आषाढ़ के महीने भी रहेंगे। पहला आषाढ़ 3 जून से 2 जुलाई तक और दूसरा आषाढ़ 3 जुलाई से 31 जुलाई तक रहेगा। आषाढ़ मास की अधिकता शास्त्रानुसार खंडवृष्टि का योग बनाते हैं। जुलाई का माह खंडवृष्टि का प्रमाण देगा।
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