Friday, 23rd May 2025

नक्सली कमांडर हिड़मा को सुकमा, दंतेवाड़ा जिलों में घेरेंगे 50 हजार जवान

Wed, May 23, 2018 5:15 PM

हिड़मा करीब 9-10 नक्सली और संगम सदस्यों का नेतृत्व करता है। इसमें कई शार्प शूटर और ब्लास्ट स्पेशलिस्ट भी हैं।

रायपुर.किरंदुल के चोलनार में तीन दिन पहले हुए हमले के बाद नक्सलियों पर पलटवार करने सुरक्षाबलों ने बड़े आपरेशन की तैयारी की है। दो जिलों सुकमा और दंतेवाड़ा में फैले नक्सलियों को टारगेट कर यह आपरेशन चलाया जाएगा। इसके लिए बस्तर के अन्य जिलों के साथ आंध्र और गढ़चिरौली में तैनात फोर्स को भी अलर्ट किया गया है। इस आपरेशन में करीब 50 हजार जवान जुटेंगे। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में नक्सल आपरेशन की समीक्षा में यह बाद खुलकर सामने आई की सुकमा और दंतेवाड़ा में कमांडर हिड़मा की ही बटालियन यह वारदातें कर रही है।

हिड़मा 9-10 नक्सली और संगमा सदस्यों का नेतृत्व करता

- इसी बटालियन को टारगेट कर आॅपरेशन चलाया जाना चाहिए। हिड़मा करीब 9-10 नक्सली और संगम सदस्यों का नेतृत्व करता है। इसमें कई शार्प शूटर और ब्लास्ट स्पेशलिस्ट भी हैं।इन माओवादियों की दोनों ही जिलों में आसान आमदरफ्त रहती है।

 

इसलिए इन्हें दोनों ही जिलों में घेरा जाए
- बैठक में बनी रणनीति के तहत पूरे बस्तर और राजनांदगांव जिले में तैनात फोर्स को इस आपरेशन के लिए इन दोनों जिलों में भेजा जाएगा। इस समय करीब 48 बटालियनें(48 हजार जवान) पूरे बस्तर को घेरे हुए हैं। पड़ोस के बीजापुर और नारायणपुर,कांकेर की फोर्स को भी शिफ्ट किया जा सकता है।

- इनके अलावे आंध्र प्रदेश और गढ़चिरौली में तैनात फोर्स को बैकअप के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। योजना के मुताबिक हिड़मा को सुकमा और दंतेवाड़ा जिले में घेरने की है।

किरंदुल में 4 साल बाद दोबारा हमला

- बैठक में इस यह बात सामने आई कि माओवादियों ने करीब 4 साल बाद किरंदुल बचेली को टारगेट किया। किरंदुल का आउटर कहलाने वाले चोलनार में दोबारा यह हमला किया गया है।

- यह पूरा इलाका आयरन ओर से भरा पड़ा है और यहां सरकारी उपक्रम के साथ निजी कंपनियां भी खनन में लगी हैं।

इस बार कोई समझौता नहीं होगा
- सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह ने आला अफसरों को साफ चेताया है कि फील्ड प्लान और कोआर्डिनेशन को लेकर इस बार कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

- खासकर पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि वे सीआरपीएफ के सा थ पूरे समन्वय के साथ आपरेशन में शामिल हो। इसके लिए जिला फोर्स को एडवांस और बैकअप पार्टी के रुप में अलर्ट पर रखा जाएगा।

अबूझमाड़ की भी होगी घेरेबंदी
- आला अफसरों के मुताबिक नक्सलियों के लिए सुरक्षित पनाहगार बने अबूझमाड़ को भी घेरने की रणनीति बनाई गई है। इसे इलाके को साथ लगे 4-5 जिलों की सीमा पर ही घेरा जाएगा। ताकि माओवादी वारदात के बाद क्रास न कर सके ।

- इस इलाके में आईटीबीपी की तैनाती की जा सकती है। इस फोर्स के जवानों को पहाड़ों की चढ़ाई में महारत हासिल है।

नक्सलियों पर नजर रखने नंदिनी एयरपोर्ट से फिर उड़ान भरेंगे यूएवी
-नक्सली गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक बार फिर नंदिनी एयरपोर्ट से अनमेन एरियल व्हीकल (यूएवी) उड़ान भरेंगे। इस बार नंदिनी एयरपोर्ट की रेंज में राजनांदगांव और कवर्धा जिले को रखा जाएगा।

- इन जिलों से यूएवी की डिमांड के बाद राज्य के गृह मंत्रालय ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि इसमें कुछ वक्त है, क्योंकि नेशनल टेक्निकल रिसर्च आर्गेनाइजेशन (एनटीआरओ) के पास इतनी संख्या में यूएवी नहीं है कि उसे दो अलग-अलग सेंटर से आॅपरेट किया जा सके।

- नंदिनी से शिफ्ट होने के बाद से फिलहाल एनटीआरओ जगदलपुर एयरपोर्ट से 4 यूएवी को आॅपरेट कर रहा है। यहां से बस्तर सहित राज्य की सीमा से लगे दूसरे प्रदेशों के नक्सल प्रभावित इलाके में नक्सली गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

- जबकि नंदिनी एयरपोर्ट का दोबारा इस्तेमाल शुरू किए जाने की स्थिति कम से कम 4 यूएवी और चाहिए। राज्य को 10 नए यूएवी खरीदी का इंतजार है। उसके बाद नंदिनी एयरपोर्ट से राजनांदगांव व कबीरधाम के नक्सल प्रभावित इलाकों में यूएवी उड़ान भरने लगेंगे।


इसलिए उपयोगी है नंदिनी एयरपोर्ट
- नंदिनी एयरपोर्ट से यूएवी जगदलपुर एयरपोर्ट शिफ्ट होने के बाद राजनांदगांव व कबीरधाम की पुलिस उन्हीं समस्याओं से जूझ रही है जो पूर्व में बेगमपेठ (आंध्रप्रदेश) से एनटीआरओ के संचालन के समय बनी हुई थी।

- इन दोनों जिलों की पुलिस की मानें तो नक्सली गतिविधियों का इनपुट मिलने पर उनका लोकेशन पता करने के लिए जगदलपुर एयरपोर्ट में एनटीआरओ के सेंटर संपर्क किया जाता है। वहां से पता चलता है कि यूएवी पड़ोसी जिले या बस्तर के अंदरूनी हिस्से में पहले ही भेजे जा चुके हैं।

- अगर यूएवी एयरपोर्ट में उपलब्ध होता भी है तो उसे इन दोनों जिलों के नक्सल प्रभावित इलाके तक पहुंचने में ही डेढ़ से दो घंटे लग जाते हैं। तब तक नक्सली अपनी जगह बदल चुके होते हैं।

सेटअप पहले से ही तैयार
- नंदिनी एयरपोर्ट बीएसपी गृह मंत्रालय के माध्यम से पहले एनटीआरओ को हैंडओवर कर चुका है। जिसके बाद दो साल तक यहीं से छत्तीसगढ़ सहित उड़ीसा झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में यूएवी से नजर रखी जा रही थी।

- लिहाजा यहां सेटअप पहले से ही तैयार है। एनटीआरओ को अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं है। यानि नंदिन एयरपोर्ट से यूएवी आपरेट करने अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।

दिनों-दिन बढ़ रहीं नक्सली गतिविधियां
- बस्तर में पैरामिलिट्री फोर्स के दबाव बढ़ाने के बाद नक्सली राजनांदगांव और कवर्धा जिले में शिफ्ट हो रहे हैं। उनका टार्गेट इस एरिया में प्रदेश से लगे महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में अपना प्रभाव स्थापित करना है। खासकर कवर्धा जिला नक्सली गतिविधियों के लिहाज से अब तक शांत माना जाता रहा है।

- लेकिन हाल के महीनों में मध्यप्रदेश की सीमा से लगे जंगलों में उनकी सक्रियता के लगातार मिल रहे इनपुट ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है। उसमें भी यह जिला सीएम का गृह जिला होने के कारण वह कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहती।

- क्योंकि यहां नक्सलियों की एक भी घटना पूरे शासन-प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़ा सकती है। इसलिए पुलिस राजनांदगांव और कबीरधाम जिले के लिए अलग से यूएवी की डिमांड पुलिस मुख्यालय से की है।

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