कर्नाटक चुनाव परिणाम, जानिए अब तक की 10 बड़ी बातें
Tue, May 15, 2018 6:13 PM
बेंगलुरू। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों में भाजपा अपने दम पर सरकार बनाती नजर आ रही है। भाजपा जहां 112 सीटों पर आगे है, वहीं कांग्रेस के खाते में 68 सीटें जाती दिख रही है। जानिए चुनाव परिणामों की अब तक खास बातें -
- इस बार लिंगायत वोट बैंक पर सभी दलों की नजर थी। कांग्रेस ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का बड़ा वादा किया तो लगा कि 150 से ज्यादा सीटों पर इसका असर होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
- लिंगायत वोट बैंक भाजपा के पक्ष में रहा। इसके पीछे उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा का लिंगायत समुदाय से होने भी अहम कारण रहा।
- शुरुआती रुझानों के मुताबिक, लिंगायत समुदाय के प्रभाव वाली 37 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस को महज 18 सीटों से संतोष करना पड़ा।
- मुस्लिम बहुल सीटों पर भी भाजपा का प्रभाव बढ़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुस्लिम बहुल आबादी वाली दस सीटों पर भाजपा जीती है, जबकि कांग्रेस के खाते में 8 सीटें ही गई हैं।
- दलित वोटों के प्रभाव वाली 19 सीटें भाजपा ने जीती है, वहीं कांग्रेस को ऐसी 10 सीटें मिलती दिख रही हैं।
- भाजपा की एकतरफा जीत से किंगमेकर बनने की जेडीएस की उम्मीदों को झटका लगा है। एग्जिट पोल्स में भी अनुमान लगाया गया था कि भाजपा-कांग्रेस में से किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा और जेडीएस के समर्थन के बगैर सरकार नहीं बनेगी, अब ऐसा नहीं है।
- भाजपा और कांग्रेस का वोट प्रतिशत (करीब 39%) समान रहा, लेकिन दोनों के बीच 46 सीटों का अंतर रहा। कांग्रेस ने पिछली बार 122 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार वह आधी सीटों पर सिमटती नजर आ रही है।
- जेडीएस ने इस बार बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा। हालांकि सीटें पिछली बार जितनी ही यानी 40 हैं।
- इस जीत के साथ ही भाजपा ने दक्षिण भारत में जोरदार वापसी की है। 2008 में उसने जीत हासिल की थी, लेकिन 2013 में कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
- कांग्रेस के मौजूदा सीएम सिद्धारमैया दो सीटों से चुनाव लड़े थे, जिसमें से चामुंडेश्वरी सीट पर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ सकता है। यहां वे 25 हजार वोट से पीछे चल रहे हैं।
बेंगलुरू। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों में भाजपा अपने दम पर सरकार बनाती नजर आ रही है। भाजपा जहां 112 सीटों पर आगे है, वहीं कांग्रेस के खाते में 68 सीटें जाती दिख रही है। जानिए चुनाव परिणामों की अब तक खास बातें -
- इस बार लिंगायत वोट बैंक पर सभी दलों की नजर थी। कांग्रेस ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का बड़ा वादा किया तो लगा कि 150 से ज्यादा सीटों पर इसका असर होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
- लिंगायत वोट बैंक भाजपा के पक्ष में रहा। इसके पीछे उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा का लिंगायत समुदाय से होने भी अहम कारण रहा।
- शुरुआती रुझानों के मुताबिक, लिंगायत समुदाय के प्रभाव वाली 37 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस को महज 18 सीटों से संतोष करना पड़ा।
- मुस्लिम बहुल सीटों पर भी भाजपा का प्रभाव बढ़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुस्लिम बहुल आबादी वाली दस सीटों पर भाजपा जीती है, जबकि कांग्रेस के खाते में 8 सीटें ही गई हैं।
- दलित वोटों के प्रभाव वाली 19 सीटें भाजपा ने जीती है, वहीं कांग्रेस को ऐसी 10 सीटें मिलती दिख रही हैं।
- भाजपा की एकतरफा जीत से किंगमेकर बनने की जेडीएस की उम्मीदों को झटका लगा है। एग्जिट पोल्स में भी अनुमान लगाया गया था कि भाजपा-कांग्रेस में से किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा और जेडीएस के समर्थन के बगैर सरकार नहीं बनेगी, अब ऐसा नहीं है।
- भाजपा और कांग्रेस का वोट प्रतिशत (करीब 39%) समान रहा, लेकिन दोनों के बीच 46 सीटों का अंतर रहा। कांग्रेस ने पिछली बार 122 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार वह आधी सीटों पर सिमटती नजर आ रही है।
- जेडीएस ने इस बार बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा। हालांकि सीटें पिछली बार जितनी ही यानी 40 हैं।
- इस जीत के साथ ही भाजपा ने दक्षिण भारत में जोरदार वापसी की है। 2008 में उसने जीत हासिल की थी, लेकिन 2013 में कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
- कांग्रेस के मौजूदा सीएम सिद्धारमैया दो सीटों से चुनाव लड़े थे, जिसमें से चामुंडेश्वरी सीट पर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ सकता है। यहां वे 25 हजार वोट से पीछे चल रहे हैं।
- इस बार लिंगायत वोट बैंक पर सभी दलों की नजर थी। कांग्रेस ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का बड़ा वादा किया तो लगा कि 150 से ज्यादा सीटों पर इसका असर होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
- लिंगायत वोट बैंक भाजपा के पक्ष में रहा। इसके पीछे उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा का लिंगायत समुदाय से होने भी अहम कारण रहा।
- शुरुआती रुझानों के मुताबिक, लिंगायत समुदाय के प्रभाव वाली 37 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस को महज 18 सीटों से संतोष करना पड़ा।
- मुस्लिम बहुल सीटों पर भी भाजपा का प्रभाव बढ़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुस्लिम बहुल आबादी वाली दस सीटों पर भाजपा जीती है, जबकि कांग्रेस के खाते में 8 सीटें ही गई हैं।
- दलित वोटों के प्रभाव वाली 19 सीटें भाजपा ने जीती है, वहीं कांग्रेस को ऐसी 10 सीटें मिलती दिख रही हैं।
- भाजपा की एकतरफा जीत से किंगमेकर बनने की जेडीएस की उम्मीदों को झटका लगा है। एग्जिट पोल्स में भी अनुमान लगाया गया था कि भाजपा-कांग्रेस में से किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा और जेडीएस के समर्थन के बगैर सरकार नहीं बनेगी, अब ऐसा नहीं है।
- भाजपा और कांग्रेस का वोट प्रतिशत (करीब 39%) समान रहा, लेकिन दोनों के बीच 46 सीटों का अंतर रहा। कांग्रेस ने पिछली बार 122 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार वह आधी सीटों पर सिमटती नजर आ रही है।
- जेडीएस ने इस बार बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, जिसका वोट प्रतिशत बढ़ा। हालांकि सीटें पिछली बार जितनी ही यानी 40 हैं।
- इस जीत के साथ ही भाजपा ने दक्षिण भारत में जोरदार वापसी की है। 2008 में उसने जीत हासिल की थी, लेकिन 2013 में कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
- कांग्रेस के मौजूदा सीएम सिद्धारमैया दो सीटों से चुनाव लड़े थे, जिसमें से चामुंडेश्वरी सीट पर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ सकता है। यहां वे 25 हजार वोट से पीछे चल रहे हैं।
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