भोपाल। प्रदेश के बेरोजगार युवकों को संविदा शिक्षक बनने के लिए अगले साल तक इंतजार करना पड़ सकता है। दरअसल, अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन किए जाने की घोषणा के बाद राज्य सरकार ने अब सीधे शिक्षक पद पर भर्ती कराने का मन बना लिया है। इसलिए संविदा शिक्षक भर्ती चयन परीक्षा की तैयारियां रोक दी हैं। 31,658 पदों के लिए यह परीक्षा अप्रैल से जुलाई के बीच होनी थी।
'नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)" के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वर्तमान में 70 हजार शिक्षकों की कमी है। खाली पदों पर संविदा शिक्षकों की भर्ती की कवायद वर्ष 2013 से चल रही है।
चुनावी साल होने के कारण सरकार ने एक बार फिर भर्ती प्रक्रिया में रुचि दिखाई थी, लेकिन चयन परीक्षा से ठीक पहले अध्यापकों के संविलियन का मुद्दा आ गया। सूत्र बताते हैं कि इसे आधार बनाकर सरकार ने चयन परीक्षा फिलहाल रोक दी है। ज्ञात हो कि वर्ष 2011 के बाद प्रदेश में संविदा शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है।
संवर्ग तय करने में देरी होगी
अभी अध्यापकों के संविलियन की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है। वहीं, शिक्षक और अध्यापकों के बीच वरिष्ठता को लेकर तकरार की स्थिति बन रही है। जिसे देखते हुए सरकार अध्यापकों के लिए नया संवर्ग बनाने की तैयारी में है। संवर्ग बनाने और संविलियन में ही दो से तीन माह लग जाएंगे।
तब तक विधानसभा चुनाव आ जाएंगे और पूरी प्रक्रिया रुक जाएगी। नई सरकार के गठन के बाद नए संवर्ग के हिसाब से भर्ती नियम बनेंगे और फिर भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी। यानी इस साल भर्ती की उम्मीद नहीं है।
छह साल में भर्ती नहीं
राज्य सरकार पिछले छह साल में शिक्षकों की भर्ती नहीं करा पाई है। चुनावी फायदा उठाने के लिए सरकार ने वर्ष 2013 में भर्ती कराने की घोषणा की थी। इसके बाद भर्ती नियम बनाने और उनमें लगातार संशोधन करने में पांच साल निकाल दिए।
अब दूसरे विधानसभा चुनाव आए, तो सरकार शिक्षकों की भर्ती को लेकर फिर से गंभीर हो गई। सरकार को चुनाव में इसका फायदा मिलने की उम्मीद है। अब जबकि भर्ती प्रक्रिया रुक गई है, तब भी सरकार के पास वोटरों को बताने के लिए है कि हम संविदा नहीं अब शिक्षकों के नियमित पदों पर भर्ती करेंगे। हालांकि ऐसा कहकर फिर अगले चुनाव तक मामला खींचा जा सकता है।
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