इंटरनेशनल डेस्क.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार से दो दिन के नेपाल के दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरे पर प्रधानमंत्री जानकी मंदिर से लेकर मुक्तिनाथ मंदिर और पशुपतिनाथ मंदिर भी जाएंगे। साथ ही रामायण सर्किट प्रोजेक्ट पर भी बातचीत होगी। मोदी का ये दौरा भले ही धार्मिक बताया जा रहा हो, लेकिन इसके जरिए कूटनीतिक हित भी साधने की कोशिश होगी। भारत इस दौरे के जरिए दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास को कम करने की कोशिश करेगा साथ ही, नेपाल पर बढ़ते चीन के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश होगी।
ये दौरा क्यों जरूरी ?
- नेपाल में पीएम केपी ओली के पिछले कार्यकाल में भारत के साथ नेपाल के रिश्तों में कड़वाहट आई थी। नतीजा ये हुआ कि भारत का सबसे करीबी पड़ोसी नेपाल चीन के करीब चला गया।
- 2016 में केपी कोली ने सार्वजनिक तौर पर भारत की आलोचना की थी। उन्होंने भारत पर नेपाल के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था।
- नेपाल में नए संविधान को लेकर मधेसियों के द्वारा किए गए विरोध में भी नेपाल ने भारत पर आरोप लगाए थे। नेपाल का कहना था कि भारत मधेसियों को उकसा रहा है। बता दें कि मधेसियों की एक बड़ी आबादी भारतीय मूल की है।
चीन के प्रभाव को रोकना और धार्मिक कनेक्शन पर जोर सबसे अहम
- पिनाकी चक्रवर्ती, प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार
प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार पिनाकी चक्रवती के मुताबिक, भारत और नेपाल के बीच बीते कुछ साल में दूरियां आई हैं। इसी का फायदा उठाते हुए चीन ने आर्थिक मदद और इन्वेस्टमेंट के जरिए नेपाल में अपना प्रभाव तेजी से बढ़ाया है। ऐसे में मोदी इस दौरे के जरिए धार्मिक कनेक्शन पर जोर देकर नेपाल को फिर से अपने करीब लाना चाहते हैं।
नेपाल -चीन के बीच बढ़ती दोस्ती
मधेशी आंदोलन के दौरान भारत से नेपाल को जरूरी चीजों की सप्लाई रुक गई थी। नतीजा ये हुआ था कि नेपाल में पेट्रोल और ईंधन की भारी कमी हो गई थी। ऐसे में नेपाल नहीं चाहता कि भारत पर निर्भरता के कारण ऐसी स्थिति पैदा हो। लिहाजा वो चीन से दोस्ती बढ़ा रहा है। चीन के जिस वन बेल्ड वन रोड का भारत का विरोध किया है, नेपाल उसका हिस्सा बन गया है। इसके अलावा चीन के केरान्ग से काठमांडू तक रेल लाइन बनाना चाहता है। चीन नेपाल के पोखरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की भी फिराक में है।
इस दौरे से विश्वास मजबूत करने की कोशिश
नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने पिछले ही महीने भारत का दौरा किया। इसके ठीक बाद उनके न्योते पर मोदी का नेपाल जाना दोनों देशों के बीच रिश्तों को फिर से पटरी पर ला सकता है। भारत एक बार फिर नेपाल को अपने विश्वसनीय पड़ोसी होने का अहसास कराना चाहता है। मधेशी आंदोलन को लेकर दोनों देशों के बीच बनी खाई को भारत अब पूरी तक से पाटना चाहता है।
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