Friday, 23rd May 2025

इमोशनल करती है 'राजी' की कहानी, एक बार जरूर देखें

Fri, May 11, 2018 6:55 PM

राजी की कहानी: राजी एक युवा भारतीय जासूस सहमत (आलिया भट्ट) की सच्ची कहानी है। बात उस दौर की है, जब 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल बना हुआ था, जो बाद में युद्ध का कारण बनता है। हरिंदर सिक्का के नॉवेल 'सहमत कॉलिंग' पर बेस्ड यह फिल्म हमें एक रोमांचकारी यात्रा पर ले जाती है,क्योंकि सहमत के हाथों में एक बहुत ही कठिन काम है। सहमत के पिता (रजित कपूर) इंडियन इंटेलिजेंस में एजेंट हैं और वे अपनी बेटी को भी यही जिम्मेदारी सौंपना चाहते हैं, जो कि अभी स्टूडेंट है। प्लान के तहत वे सहमत की शादी पाकिस्तानी मिलेट्री ऑफिसर के बेटे (विक्की कौशल) से करा देते हैं। इस तरह सहमत को पाकिस्तानी जनरल के घर में आसानी से एंट्री मिल जाती है। सहमत का पति उसे बेहद प्यार करता है। बावजूद इसके उसके ऊपर अपने ही परिवार की जासूसी करने का कठिन काम है। एक स्टूडेंट को अचानक मोर्स कोड, सेल्फ डिफेंस और और सीक्रेट रेडियो सिग्नल्स की दुनिया में छोड़ दिया जाता है। 20 साल की एक लड़की, जो खून के आसपास खड़ी भी नहीं हो सकती, उसे किसी को मारने के लिए मजबूर किया जाता है। सहमत की यह यात्रा थ्रिलर से ज्यादा इमोशनल है।


राजी का रिव्यू:डायरेक्टर मेघना गुलजार ने जिंदगी की भावनात्मक उथल-पुथल पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे कि सहमत गुजरती है और जो आलिया भट्ट के एक्टिंग स्किल से सामने आती है। आलिया अपने किरदार में एकदम फिट बैठी हैं। इमोशंस से भरा यह किरदार काफी कठिन है। लेकिन आलिया ने इसे बखूबी निभाया है। पाक आर्मी ऑफिसर के किरदार में विक्की कौशल का काम सराहनीय है। उनका किरदार सहमत से बहुत प्यार करता है और यह भी समझता है कि पाकिस्तान में भारत के खिलाफ हो रहीं बातों से उनके मन पर क्या प्रभाव पड़ रहा होगा। जयदीप अहलावत, रजित कपूर, आरिफ जकारिया और शिशिर शर्मा ने भी अपने-अपने हिस्से की एक्टिंग जबर्दस्त की है।

फिल्म ज्यादा रोमांचकारी नहीं है, क्योंकि मेघना गुलजार ने कुछ ऑब्वियस चीजों को डालकर इसे कुछ हद तक प्रेडिक्टिबल बना दिया है। कोई भी इससे जासूसी ड्रामा की उम्मीद कर सकता है। यहां तक कि जब सहमत मिलेट्री ऑफिसर के घर में जाती है तो यह आसानी से अंदाजा लग जाता है कि कौन उसके खिलाफ हो सकता है। कहने में और सस्पेंस पैदा किया जा सकता था।

मेघना की बाकी फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी म्यूजिक का विशेष ध्यान रखा गया है, जो सुनने में अच्छा लगता है। शंकर एहसान लॉय का कम्पोजीशन और मेघना के पिता गुलजार के लिरिक्स फिल्म के संगीत को जबर्दस्त बनाते हैं। अरिजीत सिंह और सुनिधि चौहान की आवाज में 'ऐ वतन' बाकी सॉन्ग्स के मुकाबले बेहतर बन पड़ा है।

आलिया भट्ट के जबर्दस्त परफ़ॉर्मेंस, बेहतरीन संगीत और सहमत की इंसपायरिंग जर्नी के लिए फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए।

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