भोपाल.मध्य प्रदेश में बीते एक सप्ताह में छह किसानों ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली है। किसान नेता इन आत्महत्याओं की वजह फसल की खरीदी में देरी और समय पर भुगतान न होना मान रहे हैं। विपक्ष ने इसके लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
इधर, मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री मुरलीधर पाटीदार ने किसानों की आत्महत्या पर विवादित बयान दिया है। बड़वानी में मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि किसानों की खुदकुशी के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है, इसका कारण खुद किसान ही जानता है क्या हैं।
शेख चिल्ली के सपने छोड़, धरातल पर लौटने की नसीहत
-कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट करके कहा कि शिवराज जी, देश की राजनीति, कर्नाटक की चिंता छोड़, अपने प्रदेश की चिंता कीजिए..जिसके लिये मध्य प्रदेश की जनता ने आपको चुना है। 6 दिन में 6 किसानों ने आत्महत्या की है। शेखचिल्ली के सपने छोड़, वास्तविक धरातल पर जवाबदारी निभाइए।
सिंधिया का ट्वीट, कहा- किसानों की आत्महत्याएं शर्म की बात
-कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, "देखिए मप्र में हमारे अन्नदाताओं के हालात. किसान ने अपने 17 साल के बेटे को गिरवी रख दिया और फिर भी कर्ज न चुका पाए तो आत्महत्या कर ली। प्रदेश के लिए अत्यंत शर्म की बात।"
यहां के किसानों ने परेशान होकर चुनी मौत
-बुधवार को नरसिंहपुर जिले के सुआताल थाना क्षेत्र के गुड़वारा गांव में 40 साल के मथुरा प्रसाद ने कर्ज से परेशान होकर जान दे दी। मथुरा प्रसाद पर लगभग ढाई लाख का कर्ज था, जिसे वह चुकाने में असमर्थ था। उसने जहरीला पदार्थ पीकर जान दे दी।
-इसी तरह राजगढ़ के खानपुरा थाना क्षेत्र के बोड़ा गांव में 80 वर्षीय बंशीलाल अहिरवार ने फांसी के फंदे से लटककर जान दे दी। बुधवार को बंशीलाल ने आत्महत्या की।
-बुरहानपुर में एक किसान ने कर्ज चुकाने के एवज में अपने बेटे को गिरवी रखा और जब वह कर्ज चुकाकर बच्चे को नहीं छुड़ा पाया तो उसने आत्महत्या कर ली।
-धार के बदनावर में भी 40 वर्षीय किसान जगदीश ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।
-उज्जैन के कडोदिया में किसान राधेश्याम और रतलाम में एक किसान ने जान दी है।
किसान परेशान, फसल का नहीं होता समय से भुगतान
-अखिल भारतीय किसान संघ का कहना है कि राज्य में सात दिन में छह किसानों की आत्महत्या से साफ है कि किसान परेशान हैं और सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि किसान कई दिनों तक मंडी में फसल लिए खड़े रहते हैं और खरीद नहीं होती। यदि खरीद हो जाए तो भुगतान में कई सप्ताह लग जाते हैं।
-संघ के अनुसार, एक तरफ किसान की उपज कम हुई है, तो वहीं उस पर कर्ज बढ़ा है। किसान पर सहकारी समितियों से लेकर साहूकारों तक का दबाव है। किसान ने कर्ज लेकर बेटी की शादी की है तो किसी ने दूसरे जरूरी काम निपटाए हैं।
किसानों के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल
-कमलनाथ ने किसानों की आत्महत्या पर सरकार की खिंचाई करने के बाद फिर से एक ट्वीट किया। उन्होंने किसानों के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार के खेल पर सरकार की चुप्पी को निंदनीय बताया। आखिर कब दोषियों पर कार्रवाई होगी। उन्होंने ट्वीट किया, किसान पुत्र के राज में, किसानो के नाम पर चल रही योजनाओं व ख़रीदी में भ्रष्टाचार का खेल निरंतर जारी है...किसानो के नाम पर ख़रीदे गेहूं में आधी मिट्टी, टुकड़ी व खलिहान का कचरा...पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं। आख़िर चुप क्यों सरकार, दोषियों पर कब होगी कार्यवाही?
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