नई दिल्ली. दुनिया की सबसे बड़ी रीटेल कंपनी वॉलमार्ट और भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के बीच डील का एलान कभी भी हो सकता है। जानकारी के मुताबिक वॉलमार्ट 15 बिलियन डॉलर ( 99,000 करोड़ रुपए) में फ्लिपकार्ट की 60-80% हिस्सेदारी खरीद सकती है। इस डील के लिए फ्लिपकार्ट की वैल्युएशन 20 बिलियन डॉलर आंकी गई है। डील से दोनों कंपनियों को फायदा होगा। पिछले साल फ्लिपकार्ट की वैल्यू 12 बिलियन डॉलर आंकी गई थी।
डील का प्रारूप क्या होगा ?
वॉलमार्ट मौजूदा शेयरधारकों से उनका हिस्सा खरीदेगी, साथ ही नया निवेश भी करेगी।
सौदे की अनुमानित रकम | अनुमानित हिस्सा | डील के फ्लिपकार्ट की वैल्युएशन |
99,000 करोड़ रुपए | 60-80% | 1.32 लाख करोड़ रुपए |
फ्लिपकार्ट में किसकी कितनी हिस्सेदारी?
शेयर होल्डर | हिस्सेदारी |
सॉफ्टबैंक | 20.8% |
टाइगर ग्लोबल | 20.6% |
नेस्पर | 12.8% |
टेनसेंट | 5.9% |
ईबे सिंगापुर | 6.1% |
एक्ससेल पार्टनर्स | 6.4% |
बिन्नी बंसल | 5.25% |
सचिन बंसल | 5.55% |
-सॉफ्टबैंक ने फ्लिपकार्ट में 2.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया था। इससे पहले सॉफ्टबैंक ने स्नेपडील और फ्लिपकार्ट के मर्जर पर जोर दिया था लेकिन स्नेपडील ने सौदा करने से इनकार कर दिया।
वॉलमार्ट को क्या फायदा होगा ?
- इस डील के जरिए वॉलमार्ट को भारत में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मिल जाएगा। ईकॉमर्स- बाजार में फ्लिपकार्ट की करीब 43% से ज्यादा हिस्सेदारी है। भारत में कंपनी को अमेजन से टक्कर मिलेगी, क्योंकि बाजार में इसकी 38% मौजूदगी है।
- चीन के बाजार में भी दोनों कंपनियों के बीच सीधी टक्कर है।
- डील होने पर फ्लिपकार्ट को एक बड़ी रकम मिलेगी, साथ ही रीटेल कारोबार का वॉलमार्ट का लंबा अनुभव भी काम आएगा। नई टेक्नोलॉजी का सपोर्ट भी मिलेगा जिससे फ्लिपकार्ट, अमेजन को चुनौती दे सकेगी।
-बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल तक भारत में फ्लिपकार्ट का मार्केट शेयर 44% होने का अनुमान है।
2019 के लिए अनुमान
कंपनी | मार्केट शेयर |
फ्लिपकार्ट | 44% |
अमेजन | 37% |
स्नेपडील | 9% |
अमेजन ने लगाया था दांव
- सूत्रों के मुताबिक अमेजन ने भी 60% शेयर खरीदने का ऑफर दिया था, लेकिन फ्लिपकार्ट ने वॉलमार्ट को तवज्जो दी। बताया जा रहा है कि अमेजन ने डील के लिए फ्लिपकार्ट की वैल्यू 22 बिलियन डॉलर (1.45 लाख करोड़ रुपए) आंकी थी।
बड़े ऑफर के बावजूद क्यों पिछड़ी अमेजन?
बताया जा रहा है कि फ्लिपकार्ट बोर्ड ने डील के लिए वॉलमार्ट को प्राथमिकता दी। इसकी वजह तो साफ नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि फ्लिपकार्ट नहीं चाहती कि कंपीटीटर कंपनी को उसके प्लेटफॉर्म का फायदा मिले। उधर वॉलमार्ट भी भारत में अमेजन से आगे निकलना चाहती है इसलिए हो सकता है अमेजन के ऑफर के बाद वॉलमार्ट ने डील हासिल करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए हों। भारत में अमेजन और फ्लिपकार्ट सबसे करीबी प्रतिद्वंदी हैं।
भारत में दिलचस्पी की वजह
- भारत में के ई-कॉमर्स बाजार में फ्लिपकार्ट और अमेजन बड़े खिलाड़ी हैं। भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट काफी तेजी से बढ़ रहा है। यही वजह है कि दुनिया की बड़ी कंपनियों को भारत में काफी संभावनाएं दिख रही हैं। भारतीय बाजार में अमेजन और फ्लिपकार्ट के बीच तगड़ी प्रतिस्पर्धा है। मार्केटिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर पर दोनों ने बड़ी रकम खर्च की है।
- वॉलमार्ट और अमेजन ने भारत में एक दूसरे को पछाड़ने के लिए भी फ्लिपकार्ट पर दांव लगाया क्योंकि दोनों को चीन में अपने कंपीटीशन का नुकसान उठाना पड़ा था और दोनों ही दिग्गज वहां अलीबाबा से पिछड़ गए।
- अमेजन भारत में अपने कारोबार विस्तार के लिए 5 बिलियन डॉलर का निवेश का निवेश करेगी। हाल ही में अमेजन के सीएफओ ने निवेशकों से कहा था कि कंपनी भारत में निवेश जारी रखेगी क्योंकि यहां ग्रोथ की काफी संभावना है। हालांकि 2018 की पहली तिमाही में अमेजन को इंटरनेशनल ऑपरेशंस में 622 मिलियन डॉलर (4.10 लाख करोड़ रुपए) का घाटा झेलना पड़ा है।
भारत का ई-कॉमर्स मार्केट
मौजूदा | 2026 तक अनुमानित |
1.98 लाख करोड़ रुपए | 13.20 लाख करोड़ रुपए |
फ्लिपकार्ट से बाहर होंगे सचिन बंसल
- जानकारी के मुताबिक फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर सचिन बंसल अपने हिस्से से 5.55% शेयर बेचकर पूरी तरह बाहर हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि सचिन बंसल वॉलमार्ट डील के बाद की स्ट्रेटेजी और प्रस्तावित स्ट्रक्चर से सहमत नहीं हैं इसलिए पूरी तरह कंपनी छोड़ने का मन बना लिया। वॉलमार्ट के डील के बाद बिन्नी बंसल नए चेयरमैन और ग्रुप सीईओ हो सकते हैं। फिलहाल फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति हैं और वह इसी भूमिका में बने रहेंगे। वॉलमार्ट 10 मेंबर वाले बोर्ड में तीन डायरेक्टर और सीएफओ नियुक्त कर सकती है। सचिन ने बिन्नी बंसल के साथ मिलकर 11 साल पहले 2007 में फ्लिपकार्ट को खड़ा किया था। इससे पहले दोनों अमेजन के एंप्लॉयी थे।
भारत में डील का विरोध
- भारतीय ट्रेडर्स का कहना है कि वॉलमार्ट रीटेल एफडीआई से देश में एंट्री नहीं कर पाई तो वह ई-कॉमर्स के जरिए रास्ता तलाश रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT)ने इस मामले में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु से दखल की मांग की है। सीएआईटी का कहना है कि इस तरह की डील से पहले 75% ऑनलाइन विक्रताओं की मंजूरी जरूरी होनी चाहिए। देश में ई-कॉमर्स बिजनेस के लिए जल्द पॉलिसी तैयार की जानी चाहिए। सीएआईटी के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि ऐसी कंपनियां दुनिया में कहीं से भी सामान लाएंगी और देश को डंपिंग ग्राउंड बना देंगी। भारतीय रीटेलर्स कंपीटीशन में पिछड़ जाएंगे और उनका धंधा चौपट हो जाएगा। देश में फिलहार करीब 7 करोड़ रीटेलर्स हैं, जिनमें से लगभग 3 करोड़ रीटेलर्स को इस डील से सीधे तौर पर नुकसान होगा।
- स्वदेशी जागरण मंच भी इस डील के खिलाफ है। उसका कहना है कि इस सौदे से ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों बाजारों पर वॉलमार्ट का कब्जा हो जाएगा और छोटे कारोबारियों को नुकासान उठाना पड़ेगा। ई-कॉमर्स सेक्टर में एफडीआई की इजाजत नहीं है ऐसे में ये डील अवैध होगी।
Comment Now