इस्लामाबाद.पनामा पेपर्स लीक मामले में कुर्सी गंवाने के बाद भी पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। अब उन पर 4.9 अरब डॉलर (करीब 32 हजार करोड़ रु.) की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं। पाकिस्तानी न्यूज चैनल की रिपोेर्ट में दावा किया गया है कि शरीफ ने गलत तरीके से यह रकम भेजी। इस पर पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) के चेयरमैन जावेद इकबाल ने संज्ञान लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच के आदेश दिए। साथ ही नोटिस जारी कर शरीफ से जवाब मांगा है।
शरीफ ने भारतीय खजाने में इजाफा किया: एनएबी
- एनएबी ने अपने बयान में कहा है कि शरीफ ने प्रधानमंत्री रहते हुए यह रकम अवैध तरीके से भारत में भेजी थी। इससे भारत के फॉरेन एक्सचेंज में इजाफा हुआ और पाकिस्तान को नुकसान उठाना पड़ा।
- पाकिस्तानी चैनल ने वर्ल्ड बैंक की माइग्रेशन एंड रेमिटंस बुक 2016 का हवाला देते हुए नवाज शरीफ पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के आरोप लगाए हैं।
कोर्ट ने शरीफ को प्रधानमंत्री पद से अयोग्य करार दिया
- 28 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट पनामा पेपर्स मामले में शरीफ को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य ठहरा चुकी है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, वो जीवनभर किसी भी सार्वजनिक पद पर नहीं रह सकते हैं। इस फैसले के बाद अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो कोर्ट में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के 3 मामले पहले ही चल रहे हैं।
क्या है पनामा पेपर्स केस?
- ब्रिटेन में पनामा की लॉ फर्म के 1.15 करोड़ टैक्स डॉक्युमेंट्स लीक हुए थे। इसमें बताया गया था कि व्लादिमीर पुतिन, नवाज शरीफ, शी जिनपिंग और फुटबॉलर मैसी ने कैसे अपनी बड़ी दौलत टैक्स हैवन वाले देशों में जमा की। लीक हुए टैक्स डॉक्युमेंट्स में इस बात का पता चला था कि कैसे दुनियाभर के 140 नेताओं और सैकड़ों सेलिब्रिटीज ने टैक्स हैवन कंट्रीज में पैसा इन्वेस्ट किया था। इन लोगों ने शैडो कंपनियां, ट्रस्ट और कॉर्पोरेशंस बनाए और इनके जरिए टैक्स बचाया था।
- लीक हुई लिस्ट खासतौर पर पनामा, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स और बहामास में हुए इन्वेस्टमेंट्स के बारे में बताती है। सवालों के घेरे में आए लोगों ने इन देशों में इन्वेस्टमेंट इसलिए किया, क्योंकि यहां टैक्स रूल्स काफी आसान हैं और क्लाइंट की आइडेंडिटी का खुलासा नहीं किया जाता। पनामा में ऐसी 3.50 लाख से ज्यादा सीक्रेट इंटरनेशनल बिजनेस कंपनियां हैं।
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