Saturday, 24th May 2025

भारतीय सेना से बेहतर रिश्ते चाहता है पाक, सेना प्रमुख बाजवा को शांति पर बातचीत की उम्मीद: ब्रिटिश थिंक टैंक

Mon, May 7, 2018 5:21 PM

भारत और पाकिस्तान एक साथ सैन्य अभ्यास करने जा रहे हैं, जो इस साल सितंबर में रूस में होगा।

  • बाजवा के पाकिस्तान सेना प्रमुख बनने के बाद से पाक सेना के रुख में बदलाव देखने को मिल रहे हैं
  • जनरल बाजवा ने पाकिस्तान दिवस पर भारतीय राजनयिक संजय विश्वास राव को परेड में आमंत्रित किया था

 

पाक की ओर से शांति के प्रयास- रिपोर्ट

- रिपोर्ट में कहा गया है कि लाइन ऑफ कंट्रोल पर चल रही फायरिंग के बाद शांति के ये प्रयास किए जा रहे हैं। बाजवा को नवंबर 2016 में पाकिस्तान सेना का प्रमुख बनाया गया है, तबसे शांति पर बातचीत को लेकर प्रयास तेज हो गए हैं।

- बीते साल रॉयल यूनाइट्स सर्विसेज इंस्टिट्यूट में पाक सेना प्रमुख बाजवा ने कहा था कि पाकिस्तानी सेना अब असुरक्षित महसूस नहीं करती है और हम चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर में भारत की सहभागिता का स्वागत करेंगे।

संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल होंगे भारत-पाक

- रूस में होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास में भारत और पाकिस्तान की सेना सितंबर में भाग लेंगी। बता दें, पाकिस्तानी सेना आजादी के 70 साल से वहां के नीतिगत फैसलों में काफी प्रभाव डालती रही है।

- संयुक्त सैन्य अभ्यास एक शांति अभियान का हिस्सा है और इसका मकसद शंघाई सहयोग संगठन देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ाना है।

कब, किसने की शांति के प्रयास की कोशिश

- रिपोर्ट के मुताबिक भारत और पाकिस्तान ने पहले भी रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश की है। 1980 में जनरल जिया उल हक और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजदीकियां बढ़ी थी।

- कश्मीर मामले को सुलझाने का प्रयास 2002 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और जन. परवेज मुशर्रफ ने आगरा समिट के दौरान किया था।

- रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना की पहल का कुछ लोगों द्वारा भारत में स्वागत किया गया है, क्योंकि वे शांति के मसलों को बेहतर तरीके से समझते हैं।

भारत को सीपीईसी में शामिल होने का दिया था न्योता

-लेफ्टिनेंट जन. आमिर रियाज ने भारत को चीन-पाकिस्तान इकॉनामिक कॉरिडोर (सीपीईसी) में शामिल होने के लिए सार्वजनिक रूप से न्योता दिया था।

- रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सेना ने भारत से बातचीत करने की पहल की है, क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि इससे उसके देश की आर्थिक क्षमता बढ़ेगी और क्षेत्रीय कारोबार और समृद्ध होगा। रिपोर्ट में इस बात का हवाला भी दिया गया है कि एफएटीए (संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्र) में सैन्य ऑपरेशन से पश्चिमी बॉर्डर पर सुरक्षा और स्थिरता कायम हुई थी।

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