नई दिल्ली. पेट्रोल-डीजल के दाम अब एक नई वजह से सुर्खियों में हैं। दरअसल, 24 अप्रैल से दिल्ली समेत देश के ज्यादातर बड़े शहरों में इनमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। 17 जून 2017 से इनकी कीमतों की हर दिन समीक्षा की जा रही है। तब से ऐसा पहली बार हुआ है जब इसमें करीब दो हफ्ते से कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पेट्रोल महंगा हुआ, लेकिन भारत में इसका असर नहीं दिखा। जबकि कीमतें तय करने में ये एक बड़ा फैक्टर होता है। माना जा रहा है कि 12 मई को होने वाले कर्नाटक चुनाव इसकी वजह हो सकते हैं।
करीब 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा हुआ कच्चा तेल
- 24 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 78.84 डॉलर प्रति बैरल थी, जो अब 80 डॉलर पर पहुंच गई है, लेकिन भारत में इसके भाव बेअसर हैं।
एक साथ दो रिकॉर्ड
पहला: 16 अप्रैल 2018 को दिल्ली में पेट्रोल 55 महीने के हाई (74.02 रुपए) पर और डीजल अब तक के सबसे उच्च स्तर (65.18 रुपए) पर पहुंच गया जो अभी भी बना हुआ है।
दूसरा: 24 अप्रैल से रेट नहीं बदले हैं, यह भी एक रिकॉर्ड है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भी 24 अप्रैल से कीमतें 75.82 और 67.05 पर स्थिर हैं।
24 अप्रैल से 7 मई तक दाम
शहर | पेट्रोल (रुपए/लीटर) | डीजल (रुपए/लीटर) |
दिल्ली | 74.63 | 65.93 |
कोलकाता | 77.32 | 68.63 |
मुंबई | 82.48 | 70.20 |
चेन्नई | 77.43 | 69.56 |
बेंगलुरु | 75.82 | 67.05 |
- इससे पहले 16 अप्रैल से 19 अप्रैल 2018 तक लगातार तीन दिन तक कीमतों में बदलाव नहीं हुआ था।
एक्साइज ड्यूटी घटाने से सरकार का इनकार
- कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद दबाव बना कि एक्साइज ड्यूटी घटाई जाए, लेकिन सरकार ने इससे साफ इनकार कर दिया।
- इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि अब भाव और ज्यादा ऊपर नहीं जाता है तो एक्साइज में कटौती की कोई वजह नहीं बनती। पेट्रोल और डीजल पर ड्यूटी 1-1 रुपए भी घटाई जाती है तो सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष में 13,000 करोड़ का घाटा होगा, जबकि कीमतें 1-2 रुपए बढ़ने से महंगाई प्रभावित नहीं होगी।
- पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी कहा था कि राज्यों को टैक्स घटाने चाहिए जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।
- पेट्रोल पर फिलहाल 19.48 रुपए और डीजल पर 15.33 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती है। राज्यों के टैक्स अलग से होते हैं।
- ग्राहकों को जिस भाव पर पेट्रोल-डीजल मिलता है उसमें एक्साइज ड्यूटी, राज्यों के टैक्स और डीलर का कमीशन शामिल होता है।
पेट्रोल महंगा है या सस्ता?
- रिकॉर्ड भाव पहुंचने पर भी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी तो नहीं घटाई, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी भी नहीं हो रही है।
- एक तरफ दाम उच्च स्तरों पर हैं तो दूसरी ओर स्थिर बने हुए हैं। अब सवाल ये है कि पेट्रोल-डीजल को महंगा मानें या फिर सस्ता?
पहले भी हो चुका है ऐसा
- पिछले साल गुजरात चुनाव से पहले इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसी सरकारी कंपनियों ने वहां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में करीब 15 दिन तक लगातार 1 से 3 पैसे की कटौती की थी।
- गुजरात में पिछले साल 14 दिसंबर को विधानसभा चुनाव हुए थे। इससे पहले अक्टूबर में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में भी 2 रुपए की कटौती की थी।
चुनाव के बाद क्या होगा?
- 12 मई को कर्नाटक चुनाव के बाद क्या तेल की कीमतों में उछाल आएगा? ये सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि गुजरात चुनाव के बाद भी ऐसा हुआ था। 14 दिसंबर 2017 को वोटिंग के बाद वहां तेल कंपनियों ने दाम बढ़ाने शुरू कर दिए थे।
कंपनियों पर पड़ी दोहरी मार
11 अप्रैल को इस तरह की खबर फैली थी कि कर्नाटक चुनाव की वजह से सरकार ने तेल मार्केटिंग कंपनियों को कीमतें नहीं बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, ऑयल कंपनियों और सरकार ने इस तरह के निर्देशों की बात से साफ इनकार कर दिया। लेकिन इस बीच तीन से चार दिन में ही भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियों के शेयर 16% तक टूट गए। इस तरह देखा जाए तो इन कंपनियों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है।
चुनावों से पहले बनते हैं ऐसे हालात
तेल पर वैसे तो सरकार का नियंत्रण नहीं है। जून 2010 में पेट्रोल और अक्टूबर 2014 में कीमतें बाजार के हवाले कर दी गईं। इसके बावजूद ये देखा गया है कि चुनावों से पहले कीमतों में किसी ना किसी तरह कटौती की जाती है या फिर दाम स्थिर रखे जाते हैं, भले ही तेल कंपनियों को नुकसान उठाना पड़े।
14 महीने में 9 बार बढ़ाई ड्यूटी
- नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच क्रूड महंगा होने पर सरकार ने 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई और खूब रेवेन्यू जुटाया।
- 2016-17 के दौरान एक्साइज ड्यूटी से 2.42 लाख करोड़ रुपए मिले जो कि 2014-15 के 99 हजार करोड़ की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा था।
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