मध्यप्रदेश में किसानों ने उद्यानिकी फसलों में विशेष रूचि प्रदर्शित की है। इन फसलों से किसानों की आर्थिक स्थिति में अप्रत्याशित बदलाव आया है। सरकारी अमले का तकनीकी मार्गदर्शन किसानों को बेहतर उत्पादन लेने में मददगार साबित हो रहा है।
नीमच जिले की जावद जनपद के ग्राम तुम्बा के किसान राजेन्द्र धाकड़ वर्षो परंम्परागत खेती रहे थे। कड़ी मेहनत के बावजूद पर्याप्त लाभ नहीं मिल रहा था। राजेन्द्र ने अपने क्षेत्र के उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से इसकी चर्चा की। अधिकारियों ने राजेन्द्र को उद्यानिकी फसल के रूप में स्ट्राबेरी की फसल लेने की सलाह दी। कृषक राजेन्द्र ने महाराष्ट्र में स्ट्राबेरी उत्पादक किसान के खेत में जाकर फसल लेने का तरीका सीखा। फिर शुरूआत में अपने खेत के एक हेक्टेयर में विंटर प्रजाति का पौधा 7 रुपये 50 पैसे की दर पर खरीद कर लगाया। मल्चिंग विधि से स्ट्राबेरी की रोपाई एवं उचित देखभाल के बाद फसल आना शुरू हुई। इसके बाद तो उनके खेत में स्ट्राबेरी की बहार आ गई। किसान राजेन्द्र ने स्ट्राबेरी की पैकिंग कर 200 रुपये प्रति किलो के भाव से नई दिल्ली मंडी में इसकी बिक्री शुरू की है। इससे भरपूर लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
कृषक राजेन्द्र बताते हैं कि एक हेक्टेयर में स्ट्राबेरी की खेती में 12 लाख रुपये की लागत आई। सब खर्च घटाकर 10 लाख रुपये का मुनाफा हुआ है। उनको हुए मुनाफे को सुनकर आस-पास के किसानों को विश्वास नहीं होता है। हकीकत जानने के बाद क्षेत्र के अन्य किसानों ने स्ट्राबेरी की फसल लेने में रूचि दिखाई है। उन्होंने भी उद्यानिकी विभाग अधिकारियों से सम्पर्क साधा है। किसान राजेन्द्र बताते हैं कि परंपरागत फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें लेने से खेती को आसानी से लाभ का धंधा बनाया जा सकता है।
पन्ना जिले के गुनौर विकासखण्ड के ग्राम ककरहटा के किसान अरविंद खरे उद्यान विभाग की फल विस्तार योजना से अच्छा लाभ कमा रहे हैं। इन्होंने उद्यान विभाग की फल क्षेत्र विस्तार योजना में आम का बगीचा लगाया था, जिसमें लगड़ा आमपाली, दशहरी,सुंदरजा, बाम्बेग्रीन किस्म के करीब 65 पौधे लगाये थे। ये सभी पौधे जीवित हैं और अच्छे फल दे रहे हैं। उन्होंने उद्यानिकी विभाग की मदद से अमरूद के करीब 35, करोंदे के 125, ऑवला के 60, कटहल के 03 और बनारसी बेर के करीब 25 पौधों का रोपण किया था। आज इन सभी पौधों से फल प्राप्त हो रहे है। इन पौधों की बदौलत ही उन्हें एक लाख रुपये की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही हैं।
उद्यानिकी फसलों की मदद से कृषक अरविन्द ने ट्रैक्टर विथ रोटावेटर खरीदा है। पिछले वर्ष ही इन्होंने मधुमक्खी कार्यक्रम में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उद्यानिकी फसलों की वजह से उनके खेत में मधुमक्खी पालन की संभावनाएँ काफी बढ़ गई है। कृषक अरविंद खरे की उपलब्धि को देखने के लिये आस-पास के गाँवों के किसान उनके खेत में पहुँचते हैं। अरविंद भी अपनी सफलता के बारे में अन्य किसानों को विस्तार से जानकारी देते हैं।
सक्सेस स्टोरी (नीमच, पन्ना)
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