कर्नाटक.एक और चुनाव। और एक बार फिर बीजेपी की तरफ मोदी का दांव। खबर है कि कर्नाटक में पीएम नरेंद्र मोदी की रैलियों की संख्या 15 से बढ़ाकर 21 कर दी गई है। शनिवार को ही मोदी चार जगहों पर रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। शनिवार को मोदी तुमकुर, गडग, शिमोगा और मंगलुरु में जनसभाओं को एड्रेस कर रहे हैं।
तुमकुर रैली में मोदी ने वोटरों से कहा कि यदि कोई राज्य की किस्मत बदल सकता है तो वो है बीजेपी। रविवार को मोदी फिर से चार रैलियों को संबोधित करेंगे। रविवार को मोदी चित्रदुर्गा, रायचूर, जामखंडी और हुबली में रैली करेंगे। 9 मई को भी मोदी तीन रैलियों में अपनी पार्टी को जिताने का जोर लगाएंगे। चुनाव राज्य के हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि बीजेपी के पास कोई स्थानीय चेहरा नहीं है जिसके बूते वो चुनाव लड़ सके।
सीएम पद के उम्मीदवार से ही परहेज?
पार्टी की तरफ से सीएम पद के लिए येदियुरप्पा का नाम आगे बढ़ाया गया है लेकिन रैलियों से लेकर तमाम सुर्खियों में मोदी का नाम है। येदियुरप्पा वही हैं जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। अब सियासी गणित कुछ ऐसा है कि बीजेपी ने येदियुरप्पा को सीएम पद का उम्मीादवार तो बना दिया लेकिन नरेंद्र मोदी उनके साथ मंच तक शेयर नहीं कर रहे। सिर्फ एक रैली ऐसी रही जहां मोदी ने येदियुरप्पा के साथ मंच साधा किया। माना यही जा रहा है कि येदियुरप्पा के साथ रैली करने से मोदी की इमेज को बट्टा लग सकता है।
जनार्दन रेड्डी को चुनाव प्रचार की इजाजत नहीं
कर्नाटक में बीजेपी की तरफ से एक बड़ा नाम है जी जनार्दन रेड्डी। वही जो बेल्लाई में माइनिंग स्कैम में फंसे। जेल गए। अब जमानत पर हैं। जनार्दन के भाई जी सोमाशेखर रेड्डी बेल्लारी से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। सोमाशेखर और जनार्दन रेड्डी के बड़े भाई जी करूणाकर रेड्डी हरप्पनहाली से चुनाव लड़ रहे हैं। ये भी बीजेपी के उम्मीदवार हैं। इन तीनों भाइयों में जनार्दन रेड्डी सबसे पावरफुल माने जाते हैं। जी जनार्दन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट से बेल्लारी जाकर अपने भाई जी सोमाशेखर रेड्डी के लिए चुनाव प्रचार करने की परमिशन मांगी थी। लेकिन कोर्ट ने साफ इंकार कर दिया। खुद अमित शाह भी ने इनसे किनारा कर चुके हैं। जाहिर है किसी दागे चेहरे के साथ बीजेपी के बड़े नेता नजर नहीं आना चाहते। लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और है। सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार करने की इजाजत नहीं मिलने के बावजूद जनार्दन रेड्डी बेल्लाई के नजदीक मोलाकलमुरू में डेरा जमाए हुए हैं। और वहीं अपने भाइयों के लिए काम कर रहे हैं।
कोई ताज्जुब नहीं कि अंत में मोदी पर चुनावी नैया पार लगाने की जिम्मेदारी आ गई।
हाल तक थी ईश्वरप्पा औऱ येदियुरप्पा में अनबन
बीजेपी के तरफ से एक बड़ा नाम पूर्व उप मुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा हैं....अमित शाह ने हाल ही में दोनों एक डिनर पर बुलाया औऱ दोनों के गिले शिकवे दूर कराए। लेकिन उससे पहले दोनों में तलवारें खिंची थीं। अमित शह ने ईश्वरप्प के घर डिनर का आयोजन कराया। इसे न्यौते को येदियुरप्पा टाल नहीं पाए। फिर डिनर पार्टी में दोनों को पुराने सहयोग की याद दिलाई गई। दोनों गले मिले और साथ काम करने का वादा किया।
अमित शाह का पूरा जोर ग्राउंड वर्क का
अमित शाह लंबे समय से राज्य में कैंप किए हुए हैं लेकिन उनकी खासियत बूथ लेवल तक शानदार मैनेजमेंट, कार्यकर्ताओं में जोश भरना रही है। उनकी जनसभाओं का वो ग्लैमर नहीं है। दूसरी तरफ मोदी क्राउड पुलर हैं...हालांकि गुजरात से तुलना करें तो मोदी ने वहां 34 रैलियां की थीं.. और यहां सिर्फ 21। इसकी बड़ी वजह ये रही कि मोदी हाल तक विदेश में दौरों पर थे। बावजूद इसके कर्नाटक में बीजेपी के सबसे बड़े दांव मोदी ही हैं।
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