सिवनी। पाकिस्तान की कराची जेल में पांच साल की सजा भुगत कर लौटा जितेन्द्र ब्लड कैंसर और टीबी का शिकार हो गया है। यह दोनों बीमारियां उसको पाक जेल में रहने के दौरान हुई। जितेन्द्र गुरुवार को पाकिस्तान से रिहा होकर अटारी सीमा पर पहुंचा। उसने बताया कि पाकिस्तान की जेल में उससे क्रूर व्यवहार किया जाता था। जेल अधीक्षक से लेकर निचले स्तर के कर्मचारी उसे और अन्य भारतीय कैदियों को डराते-धमकाते थे।
पाकिस्तान में रहने के दौरान उसे ब्लड कैंसर हो गया और पिछले डेढ़ महीने से उसका टीबी का भी इलाज चल रहा था। उसने बताया कि उसकी रिहाई के अंतिम दिन तक पाकिस्तान के अस्पताल में उसका टीबी का इलाज चल रहा था। जबकि ब्लड कैंसर के इलाज के दौरान भी पाकिस्तान के अस्पताल में कई बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया।
अगस्त 2013 में पहुंचा बाड़मेर -
हालांकि जितेंद्र ने बताया कि अगस्त 2013 को वह मानसिक परेशानी की हालत में बाड़मेर (राजस्थान) पहुंच गया। वहां तीन-चार लोगों ने उसे पकड़ लिया। सभी सिविल ड्रेस में थे। वे उसे अलग-अलग जगहों पर रखकर उसे सीमा पार करने के कारणों को जानने का प्रयास करते रहे। लेकिन मैंने हर बार उन्हें बताया कि उसने सीमा पार नहीं की। अदालत के फैसले में भी इस बात का उल्लेख है कि उसने सीमा पार नहीं की। इसके बाद उसे खुद के पाकिस्तान में होने का तब पता चला जब 6-7 महीने बाद उसके खिलाफ चालान काटा गया और जेल भेजा गया। उसे कभी सिंध तो कभी कराची की जेल में रखा गया।
2014 में रिहा होना था लेकिन चार साल तक नहीं हुई भारतीय नागरिकता की पुष्टि -
पाक में पहले उसे सिंध की जेल में बंद किया गया था। यहां एक साल की सजा पूरी करने के बाद जितेंद्र को 2014 में रिहा होना था, उसकी भारतीय नागरिकता की पुष्टि नहीं हो पाने के कारण उसे चार साल अतिरिक्त कराची की जेल में रहना पड़ा।
जेल में ही हो गई बीमारी -
जेल में कुछ समय बाद जब उसकी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई तो जांच करने पर उसे ब्लड कैंसर की बीमारी होने का पता चला। जेल में जब ज्यादा हालत बिगड़ती तो जेल के डॉक्टर उसे बाहर अस्पताल में भेज देते, जहां कभी दो महीने बाद और कभी 15 दिन बाद ही उसका ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। तीन-चार महीने पहले उसकी पाक जेल में बहुत ज्यादा हालत बिगड़ गई। उसके कई टेस्ट किए गए, लेकिन बीमारी का पता नहीं चला। इसके बाद उसके गले से बाइप्सी का सैंपल भेजा गया। उसमें उसके टीबी से पीड़ित होने की पुष्टि हुई।
सिविल अस्पताल ले गए -
अटारी सीमा पर जितेंद्र को लेने पहुंचे अटारी के नायब तहसीलदार कर्णपाल सिंह उसे मीडिया से बचाते हुए वहां पहले से खड़ी एंबुलेंस के जरिए सीधे अमृतसर के सिविल अस्पताल के लिए रवाना हो गए। दिल्ली से अमृतसर सिविल अस्पताल पहुंचे मध्य प्रदेश सरकार के प्रोटोकॉल अधिकारी ने कहा कि अगर डॉक्टर इजाजत दे देते हैं तो वह उसे लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
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