Saturday, 24th May 2025

डेटा लीक: आरोपों से जूझ रही कैंब्रिज एनालिटिका बंद होगी, कहा- निगेटिव मीडिया कवरेज से कस्टमर चले गए

Thu, May 3, 2018 5:31 PM

  • 2013 में कैंब्रिज के शोधकर्ता ने बनाया था क्विज ऐप
  • इसी ऐप के जरिए फेसबुक यूजर्स के डेटा में लगाई गई सेंध

 

लंदन. डेटा लीक के आरोपों से जुड़ी यूके की राजनीतिक विश्लेषक फर्म कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी ने खुद को बंद करने का फैसला लिया है। हालांकि कंपनी ने किसी भी तरह के गलत काम करने से इनकार किया है। साथ ही ये भी कहा कि निगेटिव मीडिया कवरेज से उसके सभी क्लाइंट्स चले गए। एनालिटिका पर आरोप था कि उसने फेसबुक से डाटा चुराया और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प को मदद पहुंचाई।


अब हम आगे काम जारी नहीं रख पाएंगे
- कंपनी ने बयान जारी कर कहा, "कैंब्रिज एनालिटिका के भरोसे के बावजूद हमारे कर्मचारियों ने नैतिक और कानूनी रूप से सही होकर काम किया। लेकिन मीडिया के गलत कवरेज से हमारे कस्टमर्स और सप्लायर्स दूर होते चले गए।"
- "नतीजतन हमने फैसला लिया है कि अब एनालिटिका का कारोबार लंबे समय तक चलाना मुश्किल होगा।"
- फेसबुक ने कहा था कि करीब 8 करोड़ 70 लाख लोगों के डेटा तक एक ऐप के जरिए पहुंच बनाई गई। बाद में इसे एक राजनीतिक सलाह देने वाली कंपनी को दे दिया गया। सोशल नेटवर्किंग साइट ने ये भी कहा कि उनकी खुद की जांच जारी रहेगी।

कंपनी के प्रवक्ता ने क्या कहा?
- "फैसले से हमारी प्रतिबद्धताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हम भरोसा दिलाते हैं कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।"
- "हमारी पेरेंट कंपनी एससीएल इलेक्ट्रॉनिक्स भी दिवालिया घोषित हो चुकी है। इससे भारत के ऑपरेशंस पर भी असर पडे़गा।"

कंपनी के बंद होने से जांच पर फर्क नहीं पड़ेगा
- एनालिटिका की जांच ब्रिटेन की संसदीय समिति कर रही है। समिति के अध्यक्ष डेमियन कॉलिंस ने कहा, "कंपनी ने जो किया, उसके लिए उनकी गंभीर जांच हो रही है। अगर एनालिटिका ने खुद के बंद करने का फैसला किया है तो भी जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा।"
- बता दें कि एनालिटिका पर 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प को फायदा पहुंचाने के भी आरोप लगे। हालांकि ट्रम्प की कैंपेन टीम ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कैंब्रिज एनालिटिका की कोई मदद ली थी।

ऐसे हुआ था डेटा चोरी का खेल
- 2013 में अमेरिका में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता अलेक्जेंडर कोगन ने पर्सनैलिटी क्विज ऐप बनाया। फिर ऐप को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग फेसबुक वॉल पर पुश करवाया।
- जब लोगों ने उस ऐप को डाउनलोड करना चाहा तो यूजर्स को फेसबुक के जरिए लॉग-इन करना पड़ा था। ऐसा करते वक्त ऐप यूजर का डेटा एक्सेस करने की अनुमति मांगी जाती थी। इससे क्या हुआ कि धीरे-धीरे ऐप के जरिए 5 करोड़ यूजर्स की फेसबुक प्रोफाइल की पूरी जानकारी कोगन तक पहुंच गई।
- कोगन ने डेटा कैंब्रिज एनालिटिका को दे दिया। उस वक्त कैंब्रिज एनालिटिका ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए ट्रम्प का कैंपेन संभाल रखा था। 5 करोड़ अमेरिकियों की जानकारी के आधार पर यूजर्स से कुछ सवाल पूछकर कैंब्रिज एनालिटिका ने उनका फेसबुक बिहेवियर स्टडी किया। जिसमें पता चला कि फेसबुक पर कौन क्या पसंद करता है। फिर उसी हिसाब से US के फेसबुक यूजर्स को 5 कैटेगरी में बांटा गया।
- लोगों के फेसबुक बिहेवियर को जानने के बाद कैब्रिज एनालिटिका, एफबी वॉल पर उनकी पसंद से जुड़े कंटेट भेजने लगी। जैसे- किसी ने 10 साल में अपनी वॉल पर सबसे ज्यादा जॉब को लेकर स्टेटस डाला तो उसे ट्रम्प के जॉब से जुड़े चुनावी वादे भेजे गए। इसके अलावा यूजर्स को प्रभावित करने के लिए फेक न्यूज का भी इस्तेमाल करने का आरोप है। नतीजा ये हुआ कि चुनाव में ट्रम्प की जीत हुई।

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