रायपुर। शिक्षाकर्मियों के साथ सरकार की हाईपावर कमेटी की बैठक में पूरे दो घंटे तक शिक्षाकर्मियों के संगठन अपनी वही मांगें दोहराते रहे जो पहले से सरकार को पता है। शिक्षाकर्मियों के साथ पिछली बैठक में हाईपावर कमेटी ने एक टीम राजस्थान भेजने और वहां के अध्ययन के आधार पर निर्णय लेने की बात कही थी।
मंगलवार को शिक्षाकर्मियों ने राजस्थान की रिपोर्ट में क्या निकला यह बताने की मांग की लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। अब शिक्षाकर्मियों का कहना है कि हर महीने अलग-अलग राज्य में टीम भेजकर सरकार टाइम पास कर रही है। बाद में कह देंगे कि अब तो चुनावी आचार संहिता लग गई है।
शिक्षाकर्मियों के नेता संजय शर्मा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत और चंद्रदेव राय ने 'नईदुनिया" से अलग-अलग बात की और कहा कि सरकार संविलियन के मुद्दे को अटकाने के लिए पैंतरेबाजी पर उतारू है। हमने आंदोलन किया तो मुख्यमंत्री ने हाईपावर कमेटी बनाकर तीन महीने में सभी मुद्दों को सुलझाने की बात कही थी।
अब पांच महीने हो चुके हैं लेकिन नतीजा सिफर ही है। बैठक में संघ समर्थित कुछ संगठन भी मौजूद थे जो हाईपावर कमेटी की हां में हां मिलाते रहे।
मंत्रालय के सामने लगे नारे
बैठक खत्म होने के बाद सरकार समर्थित शिक्षाकर्मी संघों ने सरकार के पक्ष में नारा लगाना शुरू कर दिया। संघ समर्थित नन्हेराम दीवान के नेतृत्व में यह गुट सम्म्मेलन बुलाने की मांग कर रहा था। जवाब में शिक्षाकर्मियों के प्रमुख संगठनों ने नारेबाजी की। कुछ देर गहमा गहमी बनी रही। बाद में शिक्षाकर्मियों ने बैठक लेकर महापंचायत का निर्णय लिया।
यह मांगें रखी गईं
शिक्षाकर्मियों के साथ बैठक में मुख्य सचिव अजय सिंह, पंचायत विभाग के एसीएस आरपी मंडल, संचालक पंचायत तारण प्रकाश सिन्हा, शिक्षा विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव मौजूद थे। शिक्षाकर्मियों ने कमेटी के सामने संविलियन, क्रमोन्न्ति, वेतन विसंगति दूर करने, अनुकंपा नियुक्ति, स्थानांतरण समेत अपनी सभी पुरानी मांगें दोहराईं। आठ राज्यों में शिक्षाकर्मियों का संविलियन कैसे किया गया यह भी बताया। सब सुनने के बाद कहा गया कि अभी एक टीम मध्यप्रदेश भेजेंगे फिर देखेंगे।
Comment Now