लंदन. डेटा लीक मामले में फेसबुक के बाद अब माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर का नाम भी जुड़ गया है। आरोप हैं कि ट्विटर ने ब्रिटिश डेटा फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका (सीए) को 2015 में यूजर्स का डेटा बेचा था। बता दें कि फेसबुक पर आरोप लगा था कि उसने बिना इजाजत 8.7 करोड़ यूजर्स का निजी डेटा कैंब्रिज एनालिटिका के साथ शेयर किया था। एनालिटिका ने इस डेटा का इस्तेमाल अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में किया था। इसके बाद फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग को माफी मांगनी पड़ी थी।
ट्विटर से खरीदे यूजर के ट्वीट्स, फोटोज और यूजरनेम
- ब्रिटिश अखबार द संडे टेलिग्राफ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कैम्ब्रिज एनालिटिका के फाउंडर अलेक्जांद्र कोगन ने 2015 में ट्विटर से यूजर्स का डेटा खरीदा था। इसके लिए उसने ग्लोबल साइंस रिसर्च (जीएसआर) नाम की एक फर्म बनाई, जिसे यूजर्स के ट्विटर डेटा तक पहुंच बनाने की अनुमति दी गई।
- रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोगन ने जीएसआर के जरिए दिसंबर 2014 से लेकर अप्रैल 2015 तक कई यूजर्स के ट्वीट्स, यूजरनेम, फोटोज, प्रोफाइल पिक्चर्स और लोकेशन डेटा तक पहुंच बनाई।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि आमतौर पर जहां ज्यादातर लोगों के ट्वीट्स को हर कोई पढ़ सकता है। वहीं, कंपनियों को इन्हें ट्विटर से बड़ी तादाद में खरीदने के लिए कीमत चुकानी पड़ती है।
आखिर ये डेटा क्यों खरीदा जाता है?
- ट्वीट्स और जानकारी हासिल कर के कंपनियां लोगों की सोच को समझती हैं, ताकि अपने आइडिया या प्लान का प्रचार कर सकें या अपने प्रोडक्ट को बेच सकें। हालांकि, इसका इस्तेमाल लोगों के बीच राजनीति से जुड़ी आम राय बनाने के लिए भी किया जाता है।
- ट्विटर ने कंपनियों पर लोगों की संवेदनशील निजी और राजनीतिक जानकारी इस्तेमाल करने पर रोक लगाई है।
हम कैम्बिज एनालिटिका के विज्ञापन भी नहीं दिखाते: ट्विटर
- आरोपों पर ट्विटर के स्पेक्सपर्सन ने बताया कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट का कैम्ब्रिज एनालिटिका से कोई संबंध नहीं है। यहां तक की ट्विटर सीए के किसी भी अकाउंट के विज्ञापन को साइट में जगह नहीं देती। साइट ने ये फैसला कैम्ब्रिज एनालिटिका की पॉलिसी विरोधी गतिविधियों की वजह से लिया है।
कैम्ब्रिज एनालिटिका ने जारी की सफाई
- डेटा फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका के एक स्पोक्सपर्सन का कहना है कि कंपनी ने ट्विटर का इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक विज्ञापनों के लिए किया है। सीए ने दावा किया कि उसने जीएसआर के साथ ट्विटर डेटा शेयर करने के लिए कभी कोई प्रोजेक्ट नहीं लिया ना ही कंपनी को जीएसआर से कोई डेटा मिला है। स्पोक्सपर्सन के मुताबिक, कैम्ब्रिज एनालिटिका सिर्फ एक डेटा फर्म है और किसी के राजनीतिक विचार बनाने में इसका कोई हाथ नहीं है।
क्या था फेसबुक डेटा लीक?
- दरअसल, कैम्ब्रिज एनालिटिका के एक पूर्व अधिकारी क्रिस्टोफर वायली ने कंपनी पर फेसबुक यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। कैम्ब्रिज एनालिटिका पर 8.7 करोड़ फेसबुक यूजर्स का डेटा चुराकर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में इसका गलत इस्तेमाल करने का आरोप है।
- ब्रिटिश अखबार गार्जियन और न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट्स में खुलासा किया था कि ट्रम्प कैंपेन से जुड़ी ब्रिटिश फर्म एनालिटिका ने 2014 में फेसबुक यूजर्स का डेटा गलत तरीके से हासिल किया था। फेसबुक को इस बारे में जानकारी थी,लेकिन उसने यूजर्स को अलर्ट नहीं किया। फेसबुक ने एनालिटिका को अपने प्लेटफार्म से सस्पेेंड कर दिया था और ये भरोसा भी दिलाया था कि फर्म ने डेटा डिलीट कर दिया है। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं।
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