Friday, 23rd May 2025

तीन साल में 34 नक्सलियों को मार गिराने वाले 76 जवानों ने पाया आउट आॅफ टर्म प्रमोशन

Mon, Apr 30, 2018 6:45 PM

दंतेवाड़ा।नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन्स में स्थानीय स्तर पर गठित डीआरजी की टीम नक्सलियों पर भारी पड़ रही है। जैसे ही इस टीम को जंगल में नक्सलियों के मौजूदगी की सूचना मिलती है, डीआरजी के 300 जवान जंगल में घुसते हैं, टीम घुसने की सूचना पर कभी नक्सली दबे पांव भाग खड़े होते हैं तो कभी घंटों मुठभेड़ भी होती है। इसी भारीपन का नतीजा है कि तीन सालों में अब तक इस टीम ने 34 नक्सलियों को ढेर कर दिया है। इसमें अहम भूमिका निभाने वाले 76 जवानों को आउट ऑफ टर्म क्रमोन्नति मिली है।

 

 

- इस ऑपरेशन्स में जाने वाले जवानों को कई बार असफलता भी हाथ लगी है। नक्सल ऑपरेशन के एएसपी गोरखनाथ बघेल ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन में डीआरजी की भूमिका सबसे अहम है। तीन सालों में इस टीम ने 34 नक्सलियों को मार गिराया है। अब तक 76 जवानों को क्रम से पूर्व पदोन्नति मिली है।


एएसपी बने जवानों की प्रेरणा


- नक्सल ऑपरेशन के एएसपी गोरखनाथ बघेल साल 1996 में बालाघाट में नक्सलियों से मुकाबला कर चार नक्सलियों को मार गिराया था। जिन्हें क्रम से पहले पदोन्नति मिली थी। डीआरजी के जवानों ने बताया कि एसपी कमलोचन कश्यप, एएसपी गोरखनाथ बघेल लगातार मोटिवेट करते रहते हैं।

- नक्सलियों से मुकाबले की तरकीबें बताते हैं। इन्हीं अफसरों के मार्गदर्शन में हम नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन्स को सफल बनाने पूरी कोशिश करते हैं। 

डीएसपी से आरक्षक स्तर तक के 300 जवान करते हैं काम


- डीआरजी यानि डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड। दंतेवाड़ा में इस टीम में डीएसपी से लेकर आरक्षक तक के वर्तमान में 300 जवान हैं। इनमें 45 आत्मसमर्पित नक्सली भी हैं। जिन्हें नक्सलियों की रणनीति का सबसे ज्यादा ज्ञान है। इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलता है। पूरी टीम जंगलों में निकलते ही जान अपनी हथेली पर लेकर चलती है।

- कई बार नक्सलियों के बड़े एंबुश में फंसकर निकले हैं, तो कई बार ब्लास्ट की चपेट में आते बचे हैं। घंटों मुठभेड़ में गोलियां भी आसपास से गुजरी हैं तो कई बार जवानों को नुकसान भी झेलना पड़ा है। पुलिस अफसरों के मुताबिक डीआरजी को 3 साल पहले मान्यता मिली थी।

- इसके बाद पहली बार डीआरजी के लिए भर्ती प्रक्रिया भी हुई है। इसमें शामिल जवानों को विशेष ट्रेनिंग के लिए नागालैंड, असम की सीमा पर भेजा जाता है।

इन्हें मिला क्रम से पूर्व पदोन्नत


-आरक्षक से प्रधान आरक्षक- 46, प्रधान आरक्षक से सहायक उप निरीक्षक- 14, सहायक उपनिरीक्षक से उपनिरीक्षक- 05, उपनिरीक्षक से निरीक्षक - 11, इनमें से 7 जवान ऐसे हैं जो डीआरजी में रहते हुए किसी ने चार तो किसी ने तीन बार प्रमोशन पा लिया है। इनमें तीन सालों में आरक्षक के बाद चार प्रमोशन लेकर टीआई बने - 1, आरक्षक से उपनिरीक्षक तीन बार पदोन्नत हुए- 2, आरक्षक से दो पदोन्नति लेकर सहायक उपनिरीक्षक बने - 4.

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