नई दिल्ली। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) के बाद दुनिया की एक और बड़ी रेटिंग एजेंसी फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था की साख को बढ़ाने से मना कर दिया है। यह लगातार 12वां साल है जब फिच ने भारत को निवेश के लिहाज से सबसे निचले पायदान पर रखते हुए बीबीबी (-) की रेटिंग पर रखा है। इसका मतलब यह हुआ कि भारत में निवेश करना सुरक्षित तो है लेकिन मौजूदा हालात में इसे आकर्षक नहीं माना जा सकता।
इस तरह से देखा जाए तो दुनिया की तीन बड़ी रेटिंग एजेंसियों मूडीज, स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) और फिच में से सिर्फ मूडीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए सुधार को लेकर अपनी सहमति जताई है और रेटिंग को बेहतर किया है। फिच से पहले एसएंडपी ने नवंबर, 2017 में रेटिंग बढ़ाने से मना कर दिया था। यह सरकार के लिए एक बुरी खबर है क्योंकि वित्त मंत्रालय की तरफ से फिच के सामने अर्थव्यवस्था की मजबूत तस्वीर पेश करने में कोई कमी नहीं की गई थी।
फिच ने रेटिंग भले ही नहीं सुधारी हो लेकिन उसने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है कि मध्यम अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद मजबूत दिखती है। राजकोषीय स्थिति कमजोर है लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति काफी अच्छी है। साथ ही भारत में कारोबार करने में हो रहे सुधार को लेकर भी कुछ चिंताएं जताई है। हालांकि यह स्वीकार किया कि पहले से सुधार है लेकिन हालात को बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं बताया है।
गवर्नेंस की गुणवत्ता को लेकर यह रेटिंग एजेंसी बहुत संतुष्ट नहीं दिखती है। इसके लिए विश्व बैंक की गवर्नेंस रेटिंग को आधार बनाया गया है। राजकोषीय स्थिति एक बड़ी चिंता है जो भारत की रेटिंग को सुधरने में सबसे बड़ी बाधा है। सरकार राजकोषीय घाटे के स्तर को 3.5 फीसद पर लाने में सफल रही है लेकिन इसे तीन फीसद के स्तर पर लाने में अभी वक्त लगेगा। यह मार्च, 2021 तक ही संभव दिखता है।
बताते चलें कि भारत को लेकर फिच का दृष्टिकोण अन्य रेटिंग एजेंसियों के मुकाबले सबसे सख्त होता है। वर्ष 2006 में अंतिम बार इसने भारत की रेटिंग में सुधार किया था। वर्ष 2012 में जब इसने भारत की रेटिंग घटा कर नकारात्मक कर दी थी तब तत्कालीन मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की काफी आलोचना की गई थी। इसके लिए नीतिगत जड़ता को एक अहम वजह बताया गया था। बाद में इसने पूर्व के स्तर पर रेटिंग तो ला दिया लेकिन निवेश के लिहाज से सबसे न्यूतनम पायदान वाली रेटिंग में कोई सुधार नहीं किया। वैसे रेटिंग एजेंसी ने यह जरूर कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर अगले दो वर्षों के दौरान और बेहतर होगी।
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