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सुप्रीम कोर्ट में वकील से सीधे जज बनने वाली पहली महिला बनीं इंदु मल्होत्रा, चीफ जस्टिस ने दिलाई शपथ

Fri, Apr 27, 2018 6:05 PM

इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट की सातवीं महिला जज हैं।

नई दिल्ली. वरिष्ठ वकील रहीं इंदु मल्होत्रा ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जज पद की शपथ ली। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में वे पहली महिला हैं जिन्हें वकील से सीधे जज बनाया गया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। उनका कार्यकाल 3 साल का होगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जज बनाने के लिए केंद्र को दो नाम भेजे थे। इनमें से एक नाम इंदु मल्होत्रा और दूसरा नाम उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ का था। हालांकि, केंद्र ने जस्टिस केएम जोसेफ का नाम कॉलेजियम के पास वापस लौटा दिया था।

 

सुप्रीम कोर्ट में अब दो महिला जज
- सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ये तीसरी बार है कि सुप्रीम कोर्ट में एक साथ दो महिला जज हैं। जस्टिस इंदु मल्होत्रा के अलावा जस्टिस आर भानुमति अभी सुप्रीम कोर्ट में जज हैं। 
- इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 25 पहुंच गई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल निर्धारित संख्या 31 है।

इंदु मल्होत्रा को 30 साल का अनुभव
- इंदु मल्होत्रा पिछले 30 साल से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही थीं। वे पहली महिला हैं, जिन्हें वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के 68 साल के इतिहास में वे सुप्रीम कोर्ट की सातवीं महिला जज हैं। उनसे पहले जस्टिस फातिमा बीवी, जस्टिस सुजाता मनोहर, जस्टिस रुमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा, जस्टिस रंजना देसाई और जस्टिस आर भानुमति सुप्रीम कोर्ट की जज रही हैं।

जजों की जरूरत क्यों?
- कॉलेजियम और केंद्र दोनों के पास फंसे जजों के 36% पद खाली हैं। ये भरें तो बाकी जजों से रोजाना 7 हजार केसों का बोझ घटेगा। 146 नाम दो साल से अटके हैं। 36 नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास लंबित हैं। 110 नामों को केंद्र सरकार से मंजूरी का इंतजार है।
- देश के 24 हाईकोर्ट में 395 और सुप्रीम कोर्ट में जजों के 6 पद रिक्त हैं।

केंद्र ने कॉलेजियम के पास लौटाया है जस्टिस जोसेफ का नाम
- गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से जज बनाने के लिए दो नामों की सिफारिश की थी। लेकिन केंद्र ने सिर्फ इंदु मल्होत्रा के नाम को ही मंजूरी दी, जबकि उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ का नाम कॉलेजियम को वापस लौटा दिया था।
- इसके पीछे केंद्र ने तर्क दिया कि अगर जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया जाता है तो ये दूसरे वरिष्ठ और योग्य जजों के लिए न्यायसंगत और निष्पक्ष नहीं होगा। 
- गुरुवार को इस पर विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा था कि जस्टिस जोसेफ ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का आदेश खारिज कर हरीश रावत सरकार को बहाल करने के आदेश दिए थे, इसीलिए सरकार उनके साथ बदले की राजनीति कर रही है।

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