भोपाल नए प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस की नियुक्ति के साथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस जनों की गुटबाजी और तेजी से बढ़ेगी जिससे आने वाले चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है लगातार 4 उपचुनाव में कांग्रेस की जीत ने कांग्रेसजनों में उत्साह बढ़ाया है जिससे भाजापा के बीच बेचैनी बढ़ना स्वभाविक है भाजापा ने चुनाव के 6 महीने पहले अपने निष्क्रिय प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान को हटाकर चुनावी जमावट में ध्यान दिया है लेकिन नए प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में कितने सफल होंगे यह तो आने वाला समय बताएगा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मुख्यमंत्री और आलाकमान के बीच जोर आजमाइश मूवी जोर आजमाइश अजमाइश हुई किसी जमाने में नरोत्तम मिश्रा को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का संकटमोचक कहा जाता था नरोत्तम कई मौके पर शिवराज के साथ खड़े दिखाई दिए लेकिन आलाकमान से बढ़ती नजदीकियों के चलते शिवराज नरोत्तम में दूरियां बढ़ने लगी हाईकमान की ओर से प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नरोत्तम मिश्रा का नाम तय कर दिया गया तो शिवराज ने विरोध किया इस बीच समझौते के तौर पर राकेश सिंह लाए गए लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने साथी के समर्थक
नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर अपने गठजोड़ को बरकरार रखा है अब चुनाव में शिवराज तोमर की ही चलेगी जिसका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस अभी तैयार नहीं हो पा रही है प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए रोज नए कयास लगाए जा रहे हैं कभी सिंधिया का नाम आगे आ जाता है तो कभी कमलनाथ की ताजपोशी की ख़बर आ जाती है वहीं यह भी कहा जाता है अरुण यादव चुनाव में अध्यक्ष बने रहेंगे जिससे कांग्रेसजनों में निराशा ही दिखाई दे रही है कुल मिलाकर इन दिनों मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का ही चेहरा है जो चुनाव में सबसे आगे दिखाई देगा कमलनाथ को यदि प्रदेश कांग्रेस की कमान दी जाती है तो गुटबाजी पड़ेगी कमलनाथ का साथ इन दोनों देखने सिंह दे रहे हैं जो कांग्रेस की ओर से मुख्य भूमिका चुनाव में निभाएंगे देखना होगा आने वाले समय में शिवराज का मुकाबला कांग्रेस या कमलनाथ कौन कर सकते हैं .
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