बगीचा/रायगढ़.जशपुर जिले के 15 गांवों में ग्राम सभाएं खुद का शासन और कानून चलाएंगी। वे भारतीय और राज्य के कानून को नहीं मानेंगी। गांवाें में बिना अनुमति किसी का भी प्रवेश वर्जित होगा। इसकी घोषणा बच्छरांव की सभा में ओएनजीसी के पूर्व कर्मी जोसेफ तिग्गा ने कर दी। गांव में बैगाओं से पूजा कराकर दो पत्थर गाड़ दिए गए हैं। पहले में लिखा है सबसे ऊंची है ग्राम सभा। दूसरे पत्थर पर पुलिस और प्रशासन को बिना पूछे गांव में आने पर रोक लगाने सहित अपने अधिकारों की घोषणा की गई है। सभा में इन्होंने पत्थलगड़ी की अगली सभा 26 अप्रैल को अंबिकापुर जिले में करने की घोषणा भी कर दी। सभा का प्रतिनिधित्व कर रहे लोगों ने कहा कि जो आदिवासी इनका साथ नहीं दे रहे है, वे विद्रोही हैं।
जोसेफ तिग्गा को पकड़ने को टीम रवाना
जशपुर जिले के बगीचा ब्लाॅक स्थित बच्छरांव में गांव सहित आसपास की 15 पंचायतों के आदिवासी ग्रामीण जुटे और ग्राम सभा को सर्वोपरि बताते हुए पत्थरगड़ी आंदोलन शुरू कर दिया। सुबह तीर कमान के साथ ग्रामीणों ने रैली निकाली और दोपहर में नारियल तोड़कर गांव में पत्थर गाड़ दिए। इसके बाद हुई सभा में ग्राम सभा को सर्वोपरि बताए हुए अनुसूचित क्षेत्र में बिना अनुमति पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के प्रवेश को अनुचित करार दिया गया। पूरे मामले पर नजर बनाए हुए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी सुबह से बगीचा में जुटे पर गांव में नहीं गए। जब उन्हें ग्राम सभा की क्लिपिंग दिखाई गई तो शाम को सभा का नेतृत्व कर रहे जोसेफ तिग्गा को पकड़ने के लिए टीम रवाना हुई।
भास्कर ने दिखाई भाषण की वीडियो क्लिपिंग तो एसडीओपी ने कहा करेंगे गिरफ्तारी
एसडीओपी को जब भास्कर ने सभा के दौरान दिए गए भाषण की क्लिपिंग दिखाई तो उन्होंने माना कि भाषण भड़काऊ था। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
आला अफसरों को बता दिया है
एसडीएम हितेश बघेल ने बताया कि हमें जो जानकारी मिली उसे हमने आला अधिकारियों को बता दिया है, उनके निर्देश पर हम कार्रवाई करेंगे।
क्या है पत्थलगड़ी
पत्थर गाड़ कर गांव का सीमांकन किया जाता है। मगर अब इसकी आड़ में पत्थर पर भारतीय संविधान के अनुच्छेदों की गलत व्याख्या कर ग्राम सभा को उससे बड़ा बताया जा रहा है। साथ ही ग्रामीणों को आंदोलन के लिए उकसाया जा रहा है।
राज्यपाल-राष्ट्रपति से बात करेंगे
पत्थर गाड़ने के बाद गांववालों से जोसेफ तिग्गा ने कहा कि हम चाहते हैं कि संविधान में जो अधिकार अब तक हमें नहीं दिए गए हैं, वह हमें दिए जाएं। हमारी जमीन, जंगल, नदी और क्षेत्र में जो भी खनिज पदार्थ है, उस पर हमारा अधिकार है। अब इसके लिए हम पीएम, सीएम से नहीं राज्यपाल और राष्ट्रपति से बात करेंगे।
सभा में कहा- आंदोलन में जो आदिवासी शामिल नहीं होगा, विद्राेही माना जाएगा
सोमवार को सुबह से ही बच्छरांव ग्राम पंचायत सहित आस पास के 15 पंचायतों के आदिवासी तीन कमान के साथ जुटे। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जोसेफ तिग्गा ने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को बताते हुए आदिवासियों से कहा कि जो आंदोलन में साथ नहीं देगा वह विद्रोही कहलाएगा। सभा में उन्होंने यह भी कहा कि अब आज के बाद गांव में प्रवेश लेने के लिए मुखिया से अनुमति लेनी पड़ेगी। जो इस आदेश को नहीं मानेगा, वह अपराधी कहलाएगा और उसे सजा ग्राम सभा ही देगी। हालांकि उन्होंने अपना बचाव करते हुए यह भी कहा कि कलेक्टर और एसपी को वे गांव आने से नहीं रोकेंगे पर उन्हें गांव में कोई भी विकास काम कराने के लिए ग्राम सभा से अनुमति लेनी होगी।
ग्राम सभा के आयोजन के लिए 15 पंचायत में छग सर्व आदिवासी समाज समिति बनाई है। इसमें अध्यक्ष को पाड़हा और सचिव को दीवान कहा जाता है। किसी भी विवाद व आवश्यकता होने पर पहले पुलिस और अधिकारियों को इस समिति के पाड़हा और दीवान से अनुमति लेनी होगी। इसके बाद ही अधिकारी आगे की कार्रवाई कर सकेंगे। ब्लॉक पाड़हा मिलियन मिंज ने बताया कि उन्हें शासन व उनके अधिकारियों से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उनकी अनुमति के बिना अनुसूचित क्षेत्रों में कोई कार्रवाई न करें। शासन की योजनाओं को ठीक ढंग से लागू नहीं करने से ही वे आज भी अपने अधिकारों से वंचित हैं, ऐसे में वे अपनी विकास की रूप रेखा ग्रामसभा के माध्यम से तय करेंगे और अपनी विकास स्वयं तय करेंगे।
स्थानीय आदिवासियों से ज्यादा बाहरी लोग
इस आयोजन में स्थानीय आदिवासियों से ज्यादा बाहरी लोग शामिल हुए। जशपुर जिला एक ओर झारखंड और दूसरी ओर ओडिशा से जुड़ा हुआ है। मिशनरीज का इन क्षेत्रों में खासा प्रभाव है। वहीं जशपुर जिले के आदिवासी बड़ी संख्या में वनवासी कल्याण आश्रम से भी जुड़े हैं। ऐसे में अभी बीजेपी या कांग्रेस से जुड़े आदिवासी नेता दो दिन से चल रहे इस आंदोलन पर बयान नहीं दे रहे हैं। स्थानीय आदिवासी इस आंदोलन से दूरी बनाए हुए हैं। बच्छरांव के हिंदू आदिवासी इस आयोजन में शामिल नहीं हुए। बगीचा ब्लॉक के इसाई आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से ही पत्थलगड़ी की शुरुआत की गई है। वहीं इसी पूरे क्षेत्र में एक-एककर पत्थर गाड़ने की भी बात कही गई।
1978 में भी मिशनरीज ने आंदोलन किया था: भगत
पूर्व मंत्री गणेशराम भगत से बात की गई तो उन्होंने कहा, इस आंदोलन से समाज और देश में अराजकता फैलेगी। भगत ने कहा, आप शामिल लोग और आयोजक के विषय में पता कीजिए आपको कहानी समझ में आ जाएगी। ऐसा ही एक आंदोलन इसाई मिशनरीज के समर्थन से मैडम मेरी नामक महिला को आगे कर शुरू किया गया था। आज जो आंदोलन हो रहा है इसका सिर्फ स्वरूप बदला है। इस आंदोलन में मिशनरीज से जुड़े लोग और फॉलोअर छोड़कर दूसरे आदिवासी या समुदाय के लोग नहीं के बराबर संख्या में थे।
जानिए... कैसे पत्थलगड़ी पर भारतीय संविधान को तोड़-मरोड़कर ग्रामीणों को बरगलाया जा रहा है
ये जो ग्राम सभा में बता रहे हैं
1. अनुच्छेद-13(3)(क) के तहत रूढ़ि या प्रथा विधि का बल है, यानि संविधान है।
2. अनुच्छेद 19(5) के तहत पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में कोई बाहरी गैर रूढ़ि प्रथा व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से भ्रमण, निवास , बस जाना, घूमना वर्जित है।
3. भारत का संविधान अनुच्छेद 19(6) के तहत कोई भी बाहरी व्यक्तियों को पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में व्यवसाय, कारोबार, रोजगार पर प्रतिबंध है।
4. पांचवीं अनुसूची जिलों या क्षेत्रों में भारत का संविधान अनुच्छेद 244(1) भाग ख, धार 5(1) के तहत सांसद या विधान मंडल का कोई भी कानून लागू नहीं।
जो भारतीय संविधान में दर्ज है
1. किसी राज्य या स्थान विशेष में अगर पशु बलि की प्रथा या रूढ़ि है तो यह दंडनीय अपराध है। संविधान के मुताबिक ऐसी कोई भी प्रथा या रूढ़ि सर्वोच्च नहीं है।
2. अनुच्छेद 19-5 के उपखंड घ और ड में कहा है कि नागरिकों को भारत के राज्य क्षेत्र में बिना किसी बाधा के आने-जाने, निवास करने, बसने का अधिकार है। इसमें यह नहीं है कि अनुसूचित क्षेत्रों में गैर अनुसूचित लोग भ्रमण नहीं कर सकते या बस नहीं सकते हैं।
3. अनुच्छेद 19-6 उक्त खंड के उपखंड-छ में सभी नागरिकों को कोई भी पेशा, व्यापार, रोजगार करने, उपजीविका चलाने का अधिकार है। इस प्रावधान में अजा का उल्लेख नहीं है बल्कि साधार जनता का उल्लेख है। गैर अनुसूचित जनजाति को अनुसूचित क्षेत्रों में पेशा करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
4. संविधान की 5वीं अनुसूची आसाम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम को छोड़कर अन्य राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों, अनुसूचित जातियों के प्रशासन व नियंत्रण के बारे में प्रावधान है। अनसूची के पैरा 2 के अनुसार किसी राज्य में कार्यपालिका शक्ति का विस्तार अनुसूचित क्षेत्रों पर इस अनुबंध में दिए प्रावधानों के अनुसार होगा।
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