नई दिल्ली. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के खिलाफ लाया गया महाभियोग प्रस्ताव सोमवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया। इससे पहले वेंकैया नायडू रविवार को अपनी हैदराबाद यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली लौट आए थे। उन्हें सोमवार को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के कन्वोकेशन और मंगलवार को स्वर्ण भारत ट्रस्ट के कार्यक्रम में शामिल होना था। नायडू ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों के महाभियोग के नोटिस पर कानूनविदों से चर्चा की है। इस नोटिस पर विपक्ष के 64 सांसदों ने हस्ताकर किए थे और उन्हें हटाने के लिए 5 वजहों को आधार बनाया था।
चीफ जस्टिस को अब न्यायिक काम से अलग हो जाना चाहिए- नायडू
- उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस को अब न्यायिक काम से अलग हो जाना चाहिए, क्योंकि उनके खिलाफ महाभियोग नोटिस पर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके बाद उपराष्ट्रपति हैदराबाद से दोपहर नई दिल्ली रवाना हो गए। दिल्ली पहुंचते ही नायडू ने महाभियोग पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पीके मल्होत्रा और पूर्व विधायी सचिव संजय सिंह से कानूनी और संवैधानिक मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी से भी बात की।
विपक्ष के नोटिस पर 71 सदस्यों के दस्तखत
- कांग्रेस और छह अन्य दलों ने शुक्रवार को सभापति को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था। इस पर 71 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें से सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
नायडू का यह था कार्यक्रम
- उपराष्ट्रपति नायडू को सोमवार को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के कन्वोकेशन और मंगलवार को स्वर्ण भारत ट्रस्ट के कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन वे रविवार दोपहर को ही हैदराबाद से दिल्ली रवाना हो गए।
- वे शनिवार को हैदराबाद पहुंचे थे और एक निजी शिक्षा संस्थान के ग्रेजुएशन कार्यक्रम में शामिल हुए थे। रविवार सुबह इस्कॉन के कार्यक्रम में शामिल हुए। यात्रा बीच में छोड़ने की कोई वजह नहीं बताई गई।
कांग्रेस बोली- नोटिस रद्द तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
- कांग्रेस नेता विवेक तन्खा, ऐमी याज्ञनिक और राज्यसभा सदस्य केटीएस तुलसी ने रविवार को भाजपा पर महाभियोग पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
- उन्होंने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर सभापति नायडू के कार्यालय ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसलिए चीफ जस्टिस को कोर्ट के काम नहीं करने चाहिए। अगर नोटिस रद्द हुआ तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
7 विपक्षी दलाें के चीफ जस्टिस के खिलाफ 5 आरोप
- कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति को सौंपे सांसदों के नोटिस का हवाला देते हुए वो पांच आरोप बताए, जिनके आधार पर चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस लाया गया है।
1) पहले आरोप के बारे में सिब्बल ने कहा, ‘"हमने प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले में उड़ीसा हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज और एक दलाल के बीच बातचीत के टेप भी राज्यसभा के सभापति को सौंपे हैं। ये टेप सीबीआई को मिले थे। इस मामले में चीफ जस्टिस की भूमिका की जांच की जरूरत है।’’
2) ‘"एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ सीबीआई के पास सबूत थे, लेकिन चीफ जस्टिस ने सीबीआई को केस दर्ज करने की मंजूरी नहीं दी।’’
3) ‘"जस्टिस चेलमेश्वर जब 9 नवंबर 2017 को एक याचिका की सुनवाई करने को राजी हुए, तब अचानक उनके पास सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से बैक डेट का एक नोट भेजा गया और कहा गया कि आप इस याचिका पर सुनवाई नहीं करें।’’
4)‘"जब चीफ जस्टिस वकालत कर रहे थे तब उन्होंने झूठा हलफनामा दायर कर जमीन हासिल की थी। एडीएम ने हलफनामे को झूठा करार दिया था। 1985 में जमीन आवंटन रद्द हुआ, लेकिन 2012 में उन्होंने जमीन तब सरेंडर की जब वे सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए गए।’’
5)‘"चीफ जस्टिस ने संवेदनशील मुकदमों को मनमाने तरीके से कुछ विशेष बेंचों में भेजा। ऐसा कर उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया।’’
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