इंदौर।प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर सहित प्रदेशभर में इन दिनों अघोषित नोटबंदी है। शनिवार सुबह भी लोगों को कैश की किल्लत झेलनी पड़ी। शहर के ज्यादातर एटीएम के बाहर कैश नहीं है का पोस्टर चस्पा कर दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि आरबीआई ने 200 से 250 कराेड़ रुपए इंदौर के जारी कर दिए हैं, जो आज शहर पहुंच जाएंगे। यदि ऐसा हुआ तो सोमवार से लोगों को राहत मिलने लगेगी।
सोमवार को मिल सकती है राहत
- एटीएम में इसलिए भी जल्दी कैश खत्म हो रहा है, क्योंकि बैंकों को अधिक से अधिक एटीएम में राशि अपलोड करने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन कैश की कमी है, इसलिए राशि भी कम अपलोड की जा रही है। खबर है कि शनिवार को आरबीआई से इंदौर रीजन के लिए कैश जारी हो रहा है। यह राशि करीब 200 से 250 करोड़ होने की बात कही जा रही है। यह राशि बैंकों की स्थानीय चेस्ट में जाएगी और फिर बैंक शाखाओं तक पहुंचेगी। संभावना है कि सोमवार तक एटीएम में यह राशि अपलोड कर दी जाएगी, जिससे कैश की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी। आरबीआई अधिकारियों का कहना है कि छोटे जिलों से अधिक खपत वाले जिलों में कैश पहुंचाया जा रहा है, जिससे समस्या नहीं आएगी।
ये है इंदौर में कैश की किल्लत का कारण
- शहर के 1800 से ज्यादा एटीएम में हर दिन 100 करोड़ का कैश विड्राॅल होता है। इतनी ही राशि बैंकों को एटीएम में भरने के लिए चाहिए होती है, लेकिन सात दिन से मांग के बदले में केवल एक चौथाई ही नकदी की पूर्ति हो रही है। शहर के सभी बैंकों को एक दिन में केवल 25 करोड़ का ही कैश आवंटित किया जा रहा है। समस्या यह भी है कि आरबीआई चेस्ट से यह राशि रैंडमली चलती है। एक दिन कुछ बैंकों को तो अगले दिन दूसरे बैंकों को। इसके चलते भी बैंकों को कैश की समस्या आ रही है। मुख्य बाजारों के एटीएम जल्द खाली हो रहे हैं।
100 रुपए के नए नोट काफी कम आ रहे
- 100 रु. के नए नोट काफी कम आ रहे हैं। पुराने नोट एटीएम में अपलोड नहीं होते। 200 के नए नोट की छपाई ज्यादा नहीं हुई है। 2000 के नोट फिर ब्लैक मनी में उपयोग होने लगे हैं। ये नोट वापस बैंक कम पहुंच रहे। ऐसे में बैंकों के पास एटीएम के लिए 500 के नोट बचे हैं, जिनकी पूर्ति भी कम है।
कलेक्टर करेंगे आरबीआई अधिकारियों से समन्वय
- गुरुवार को कैश की किल्लत पर पहली बार प्रदेश सरकार गंभीर हुई और मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव वित्त ने आरबीआई के अधिकारियों के साथ ही सभी कलेक्टरों की वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक ली। इसमें कलेक्टरों की आरबीआई अधिकारियों से सीधे बात कराई गई और सभी को आरबीआई के नंबर दिए गए, जिससे कैश की किल्लत को लेकर वह सीधे संपर्क कर सकें।
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