Sunday, 25th May 2025

इंदौर से पुणे होते हुए हैदराबाद के बीच चलेगी हमसफर एक्सप्रेस

Tue, Apr 10, 2018 6:14 PM

इंदौर। रेल मंत्रालय इंदौर से हैदराबाद के बीच साप्ताहिक हमसफर एक्सप्रेस चलाएगा। इसे सप्ताह में एक दिन चलाने का प्रस्ताव बोर्ड ने रेल मंत्री को भेजा है। वहां से जल्द ही औपचारिक स्वीकृति मिलेगी, जिसके बाद ट्रेन चलाने की तारीख और समय आदि तय किए जाएंगे। नई ट्रेन इंदौर से वडोदरा, पुणे और शोलापुर होते हुए हैदराबाद पहुंचेगी।

इंदौर के खाते में फिलहाल प्रीमियम श्रेणी की ट्रेन के नाम पर एकमात्र इंदौर-मुंबई दुरंतो एक्सप्रेस है। इंदौर-भोपाल एसी डबल डेकर एक्सप्रेस को रेलवे ने घाटे में जाने के कारण इस वादे के साथ बंद कर दिया था कि इसके बदले इंदौर-भोपाल के बीच अतिरिक्त इंटरसिटी ट्रेन चलाई जाएगी। पिछले महीने रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इंदौर में पश्चिम रेलवे के अफसरों से कहा था कि वे जल्द ही फिर इंदौर आना चाहते हैं इसलिए कोई कार्यक्रम बनाएं। संभवतः वे इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने इंदौर आएंगे।

रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने इंदौर-कोचुवेली एक्सप्रेस और इंदौर-पुणे द्विसाप्ताहिक ट्रेन के उद्घाटन अवसर पर घोषणा की थी कि इंदौर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के बीच हमसफर एक्सप्रेस चलाई जाएगी। जब ट्रेन शुरू होने की बारी आई तो पुराना कन्वेंशनल रैक भेज दिया गया। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस पर नाराजगी जताई थी। जैसे-तैसे गुवाहाटी एक्सप्रेस के लिए एलएचबी रैक जुटाया गया लेकिन इस रूट पर हमसफर एक्सप्रेस चलाने का वादा रेलवे पूरा नहीं कर पाया। बाद में मध्यप्रदेश को मिलने वाली पहली हमसफर एक्सप्रेस जबलपुर को दे दी गई जिसे जबलपुर से संतरागाची के बीच चलाया जा रहा है। 'नईदुनिया' ने जनवरी में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। स्पीकर की ओर से मंत्रालय पर दबाव बनाया गया और आखिरकर इंदौर को हमसफर एक्सप्रेस मिलने जा रही है। स्पीकर के रेलवे सलाहकार नागेश नामजोशी ने इसकी पुष्टि की।

इसलिए खास है हमसफर एक्सप्रेस

- हमसफर एक्सप्रेस में सभी कोच थर्ड एसी श्रेणी के होते हैं।

- ट्रेन के कोच विशेष साज-सज्जा और सुविधाओं वाले होते हैं, इसलिए इसका किराया सामान्य थर्ड एसी श्रेणी के कोच से ज्यादा होता है।

- सभी कोच जर्मन टेक्नोलॉजी से बने एलएचबी (लिंक हॉफमन बॉश) होते हैं और सुरक्षा की दृष्टि से बेहद अच्छे माने जाते हैं।

- एलएचबी तकनीक का होने से इनमें सामान्य कन्वेंशन कोच की तरह दचके नहीं लगते और ये अधिकतम 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलाए जा सकते हैं।

- कोचों के भीतर विनाइल कोटिंग से सफाई का काम आसान होता है।

- हर कंपार्टमेंट में पढ़ने के लिए किताबें, डस्टबिन, लगेज रैक, ऊपरी बर्थ पर चढ़ने के लिए विशेष सीढ़ियां, टॉयलेट में बेबी सीट्स आदि सुविधा रहती है।

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