नई दिल्ली। दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों और बड़े शहरों में मकान किराए पर उठाकर मोटी कमाई करने वालों पर आयकर विभाग की नजर है। आयकर विभाग ने असेसमेंट ईयर 2018-19 (वित्त वर्ष 2017-18) के आयकर रिटर्न फार्म में इस बार व्यक्तिगत करदाताओं को मकान से कमाई का पूरा हिसाब देने को कहा है।
करदाताओं को आयकर रिटर्न में न सिर्फ यह बताना होगा कि उन्हें किराए के रूप में मकान से कितनी कमाई हुई बल्कि उन्हें इस बात का भी ब्यौरा देना होगा कि उन्होंने स्थानीय निकाय को कितना टैक्स दिया।
सूत्रों ने कहा कि संपत्ति के बारे में इस तरह का ब्यौरा पहले आयकर रिटर्न फार्म आइटीआर-2 में लिया जाता था लेकिन इस बार आइटीआर-1 में भी यह कॉलम जोड़ दिया गया है। आइटीआर-1 फार्म को "सहज" भी कहते हैं। सेलरी, एक मकान और ब्याज के रूप में सालाना 50 लाख रुपये तक की आमदनी वाले व्यक्तिगत करदाता इस फार्म को भरकर असेसमेंट ईयर 2018-19 के लिए अपना रिटर्न भर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि अगर किसी करदाता ने अपना मकान किराए पर उठाया है तो उसे अपने आयकर रिटर्न में किराए से आमदनी के बारे में जानकारी देनी होगी। साथ ही उसे मकान खरीदने को लिए गए कर्ज पर ब्याज का ब्यौरा भी रिटर्न में देना होगा।
सूत्रों ने कहा कि इस बार "सहज" फार्म में एक नया बिंदु और जोड़ा है। इसके तहत करदाता ने अगर अपना मकान किराए पर उठाया है तो किराएदार द्वारा काटे गए टीडीएस का ब्यौरा भी रिटर्न में देना होगा। अब तक आयकर रिटर्न में यह कॉलम नहीं था।
सूत्रों ने कहा कि बहुत से लोग मकान से आय को आयकर विभाग से छिपाते हैं। इसलिए विभाग न सिर्फ किराए से आय के बारे में ब्यौरा जुटा रहा है बल्कि इस बात की जानकारी भी जुटा रहा है कि मकान पर कितना टैक्स लोकल अथॉरिटी को दिया गया।
उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग ने बृहस्पतिवार को असेसमेंट 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न फार्म जारी किए हैं। पिछले साल की तुलना में इस बार इन फार्म में कई बदलाव भी किए गए हैं।
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