नई दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए वायुसेना में 114 नए लड़ाकू विमानों को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। यह सौदा 15 अरब डॉलर (करीब एक लाख करोड़ रुपए) का होगा, जो दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा। इसके टेंडर की सार्वजनिक सूचना जारी होते ही दुनिया के हथियार बाजार में खलबली मच गई है। अमेरिका, रूस, फ्रांस, स्वीडन और योरपीय संघ की आधा दर्जन कंपनियां इस सौदे को पाने की दावेदार हैं।
मिली जानकारी के अनुसार इन लड़ाकू विमानों के संयुक्त रूप से उत्पादन के सिलसिले में विदेशी कंपनियों से आरएफआइ (सूचना प्रेषित करने) वाली निविदाएं मांगी गई हैं।
विमान को बनाने का कार्य भारतीय और विदेशी कंपनी मिलकर करेंगी। दोनों के बीच समझौता हाल ही में घोषित रणनीतिक साझेदारी के तहत होगा। इसके तहत विदेशी कंपनी को भारत को तकनीक का हस्तांतरण भी करना होगा। वायुसेना पूरी प्रक्रिया को तेजी से अंजाम देना चाहती है जिससे उसके पुराने पड़ते विमानों के रिटायरमेंट से पहले नए विमान मिलने शुरू हो जाएं। पाकिस्तान से रोजाना की तनातनी और चीन सीमा पर बदल रहे माहौल के मद्देनजर वायुसेना खुद को हर परिस्थिति के लिए चाक-चौबंद रखना चाहती है।
वैसे जरूरत के समय दो मोर्चों पर अभियान छेड़ने के लिए भारत ने तैयारी शुरू कर दी है। इसी के चलते सितंबर 2016 में भारत ने फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये में फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद का सौदा किया है। भारतीय वायुसेना दो इंजन वाले इस फ्रांसीसी विमान की 36 प्लेन की एक और खेप खरीदना चाहती है लेकिन अभी तक सरकार ने उस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
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