स्टारकास्ट: इरफ़ान खान, कीर्ति कुल्हारी, अरुणोदय सिंह, दिव्या दत्ता, ओमी वैद्य, अतुल काले, गजराज राव
निर्देशक: अभिनय देव
अवधि: 2 घंटा 19 मिनट
भारतीय सिनेमा में ब्लैकमेल पर बहुत सारी फिल्में बन चुकी है। यहां तक कि गोल्डन एरा में भी ऐसी कई फिल्में हैं जो ब्लैकमेल पर आधारित है, लेकिन अभिनय देव की ब्लैकमेल एक ऐसा ब्लैकमेल है जो वाकई न सिर्फ लीक से हटकर है बल्कि भारतीय समाज को, उसकी मानसिकता को, उसकी नैतिकता को झकझोर कर रख देती है। निर्देशक अभिनय देव की कहानी उसके पहले ही प्रोमो के साथ स्पष्ट हो जाती है। सीधा-साधा नौकरी पेशा पति एक दिन जब पत्नी को सरप्राइज देने घर पहुंचता है तो उसकी पत्नी अपने प्रेमी के साथ उसके ही घर में उसके ही बिस्तर पर मौजूद है। उसके मन में ढेरों ख्याल आते हैं कि अपनी पत्नी का खून कर दे या उसके प्रेमी का खून कर दे। या दोनों को ही मार दे। मगर वह कुछ भी नहीं करता। वह एक ऐसा रास्ता तैयार करता है जो किसी ने सपने में भी ना सोचा हो। अपनी पत्नी और उसके प्रेमी को ब्लैकमेल करना शुरू कर देता है उसके बाद क्या-क्या घटनाएं होती हैं, किस तरह से वह खुद इस का हिस्सा बनते-बनते फंसते चला जाता है इसी रोचक धागे से बुनी गई है ब्लैकमेल।
रोचक ढंग से कही कहानी -
निर्देशक के तौर पर अभिनय देव पूरी तरह से सफल नजर आते हैं। कहानी भले ही छोटी सी हो मगर जिस तरह से स्क्रीनप्ले किया है वाकई काबिल-ए-तारीफ है। जब कहानी छोटी सी हो और उसका विस्तार फिल्म का हो तो जाहिर तौर पर एक निर्देशक पर बड़ी जिम्मेदारी आ जाती है कि वो किस तरह से और रोचक ढंग से अपनी कहानी को दर्शकों से कह पाता है! इसमें वो सफल रहे। अभिनय की खास बात यह है कि उन्होंने अपने हीरो को कम से कम संवाद दिए हैं। शुरुआती 20 से 25 मिनट तक हीरो इस तरह से प्रस्तुत करते हैं कि लगता है कि वो बोलेगा ही नहीं। मगर छोटी-छोटी हरकतों से वह उसको स्पष्ट करते चले जाते हैं कि आखिर उनका नायक है क्या? सशक्त कहानी कसा हुआ स्क्रीनप्ले और सधा हुआ निर्देशन दर्शकों पर पकड़ बनाए रखता है।
अभिनय से जीवंत किया किरदार -
अभिनय की बात करें तो इरफ़ान खान एक मंझे हुए कलाकार है। उन्होंने देव की हर छोटी-छोटी चीज को, उसकी मानसिक उलझन को और कॉम्प्लेक्स को कम से कम शब्दों में अपने अभिनय से जीवंत किया है। कीर्ति कुल्हारी के पास करने को वैसे कुछ ज्यादा तो नहीं था मगर जितना उनके हिस्से आया, उन्होंने पूरी शिद्दत से निभाया है। अरुणोदय ने अपना किरदार प्रभावी ढंग से निभाया है। डोली बनी दिव्या दत्ता अपने हर दृश्य में अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रही है। प्रभा के किरदार में अनुज साठे ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। आने वाले समय में हम उन्हें ज्यादा बेहतर रूप में देख पायेंगे यह उम्मीद की जा सकती है। गजराज राव थोड़ी देर के लिए आते हैं मगर छा जाते हैं। कुल मिलाकर ब्लैकमेल एक मनोरंजक फिल्म है। आप यह फिल्म एक अलग कहानी अच्छे निर्देशन और मंझे हुए अभिनय के लिए देख सकते हैं।
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