बीजिंग. चीन का स्पेस स्टेशन तियानगोंग-1 सोमवार को क्रैश हो गया। स्पेस स्टेशन टूटकर दक्षिण प्रशांत महासागर में गिर गया। हालांकि इससे किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। चीन के स्पेस इंजीनियरिंग ऑफिस के मुताबिक 8 टन वजनी तियानगोंग-1 का ज्यादातर हिस्सा समुद्र में गिरने से पहले ही जल गया था। स्पेस स्टेशन के धरती के वायुमंडल में आने से किसी नुकसान की खबर नहीं है। वैज्ञानिकों ने भी स्पेस स्टेशन के धरती पर आने से किसी भी नुकसान की आशंका से इनकार किया था।
गिरने की जगह बताना संभव नहीं
- वैज्ञानिकों ने कहा था कि तियानगोंग-1 के गिरने की सही जगह बता पाना मुश्किल है। चीन की स्पेस एजेंसी का अनुमान था कि तियानगोंग साओ पाउलो (ब्राजील) के पास गिरेगा।
- यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने बताया था कि तियानगोंग के ऊपर टूट सकता है।
चीन के स्पेस स्टेशन की कुछ अहम बातें
1. क्या है चीन का तियानगोंग-1 स्टेशन?
- तियानगोंग-1 जिसका अंग्रेजी में हैवेनली प्लेसेज भी बुलाया जाता है चीन का पहला प्रोटोटाइप स्पेस लैब प्रोजेक्ट था। इसे बिना किसी यात्री के सितंबर 2011 में लॉन्च किया गया था। ये लैब पृथ्वी की कक्षा से 350 किलोमीटर ऊपर स्थापित किया गया था। बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी की कक्षा से करीब 400 किलोमीटर ऊपर मौजूद है।
- करीब 9.4 टन, 34 फुट लंबे और 11 फुट चौड़ी इस लैब के अंदर 530 क्यूबिक फीट की जगह मौजूद है। इसमें एक साथ दो लोगों के रहने की जगह थी। चीन के 2022 तक अंतरिक्ष में एक स्थाई स्पेस स्टेशन भेजने की राह में ये एक कामयाब मिशन था।
2. स्पेस से क्यों गिरा तियानगोंग?
- चीन ने तियानगोंग-1 सिर्फ दो साल की टाइम लिमिट तक काम करने की लिए बनाया था। पहले चीन की योजना थी कि वे स्पेस लैब को पृथ्वी की कक्षा से बाहर कर देंगे, जिससे तियानगोंग अपने आप अंतरिक्ष में खत्म हो जाएगा। हालांकि, मई 2011 से मार्च 2016 तक करीब 5 साल काम करने के बाद ये चीनी स्पेस एजेंसी के कंट्रोल से बाहर हो गया। जिसकी वजह से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल ने इसे पृथ्वी के अंदर खींच लिया।
पहले भी पृथ्वी पर गिर चुके हैं स्पेस स्टेशन
- तियानगोंग से पहले कई और स्पेस स्टेशन भी बेकाबू होकर धरती पर क्रैश हो चुके हैं। सबसे पहला था नासा का 85 टन वजनी स्काईलैब स्पेस स्टेशन, जो जुलाई 1979 में हिंद महासागर में गिर गया था। इसका कुछ हिस्सा ऑस्ट्रेलिया के एस्पेरैंस शहर में भी गिरा था। शहर में गंदगी फैलाने को लेकर नासा पर 400 डॉलर्स (करीब 26 हजार रूपए) का जुर्माना भी लगाया गया था।
- इसके अलावा फरवरी 1991 में सोवियत यूनियन का 22 टन वजनी सैल्युत 7 अपनी कक्षा छोड़कर धरती पर क्रैश हो गया था। हालांकि, स्काईलैब और सैल्युत दोनों के ही अनकंट्रोल होते वक्त उनमें कोई सवार नहीं था।
- 2001 में रूस का 140 टन वजनी स्पेस स्टेशन मीर अपनी कक्षा में काबू से बाहर हो गया था। हालांकि, वैज्ञानिकों ने उसे दोबारा कंट्रोल करके क्रैश कराया था। 1986 में अंतरिक्ष में भेजा गया मीर दुनिया का पहला स्थाई स्पेस स्टेशन था।
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