नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे कांग्रेस के तीन सांसद अगर ऐसा करते हैं तो वो चीफ जस्टिस की कोर्ट में वकालात नहीं कर सकेंगे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने यह फैसला किया है। काउंसिल के मुताबिक, कोई भी ऐसा वकील जो सांसद या फिर विधायक है, अगर वो हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाता है तो वो फिर उन जजों की कोर्ट में जिरह नहीं कर सकेगा।
कौन हैं कांग्रेस के तीन सांसद और वकील?
- कांग्रेस के कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तन्खा वो वकील और सांसद हैं, जो सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं।
- बार काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट मनन मिश्रा ने कहा कि इस बारे में ज्यादातर सदस्य सहमत हैं। उनके मुताबिक- ऐसे वकील जो सांसद या विधायक भी हैं। अगर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाते हैं तो फिर वो उन जजों की अदालतों में वकालात नहीं कर सकेंगे जिनके खिलाफ वो महाभियोग प्रस्ताव लाए हैं।
- मिश्रा के मुताबिक, हालांकि इन वकीलों को पूरी तरह वकालात करने से नहीं रोका जा सकता। दूसरे शब्दों में कहें तो वो उन जजों की अदालतों को छोड़कर जिनके खिलाफ वो महाभियोग प्रस्ताव लाए हैं, किसी भी कोर्ट में जिरह कर सकते हैं। यानी कुछ सीमाएं तय की जा रही हैं।
सिब्बल ने किया विरोध
- बार काउंसिल ऑफ इंडिया के इस फैसले का कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तन्खा ने विरोध किया है। इनका कहना है कि ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके आधार पर बार काउंसिल उन्हें इस तरह से रोक सके।
- बता दे कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट भारतीय जनता पार्टी के नेता और मशहूर वकील अश्विनी उपाध्याय की एक पिटीशन पर सुनवाई कर रहा है। अश्विनी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वो ऐसे वकीलों के लिए गाइडलाइन्स तय करे जो सांसद या विधायक भी हैं।
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