Thursday, 22nd May 2025

प्रेरक प्रसंग : युद्ध के नगाड़े सुनते ही बूढ़ा हाथी दौड़ पड़ा

Tue, Apr 3, 2018 4:03 AM

जीवन मे उत्साह बना रहना बहुत जरूरी है। साथ ही यदि किसी व्यक्ति में उत्साह जगाना हो तो उसकी सबसे बड़ी खूबी को पहचाना जरूरी है। इस बात को एक हाथी की कहानी से समझा जा सकता है, जिसका जिक्र हम यहां करेंगे।

कहानी के मुताबिक, प्राचीन समय में एक राजा था। राजा की सेना में एक हाथ भी शामिल था, जो युद्ध कौशल में पारंगत था। राजा उसी पर सवार होकर युद्ध लड़ने जाता था और विजयी होकर लौटता था। राजा को अपने इस हाथी पर बहुत गर्व था, लेकिन समय के साथ हाथी बूढ़ा होने लगा।

राजा ने युद्ध पर जाने के लिए अब दूसरे हाथी का चयन कर लिया था। बूढ़ा हाथी अकेला रहने लगा था। एक दिन घूमते-घूमते वह गहरे तालाब में गया और दल-दल में फंस गया। जोर-जोर से चिंघाड़ने लगा। आवाज सुनकर लोग इकट्ठा हो गए।

राजा और मंत्री तक सूचना पहुंचाई गई कि उनका प्रिय हाथी फंस गया है। राजा मौके पर पहुंचा और उसे निकालने की हर संभव जुगत लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

आखिरी में किसी ने राजा को बताया कि गौतम बुद्ध नजदीक ही हैं और इस जंगल से गुजरने वाले हैं। क्यों न हाथी को बचाने के लिए उनसे सलाह ली जाए?

राजा को बात जंची। वे स्वयं गौतम बुद्ध के पास गए और पूरा घटनाक्रम बताया। गौतम बुद्ध ने जो उपाय सुझाया, उसे सुनकर हर कोई चौंक गया।

गौतम बुद्ध ने कहा, इस हाथी को बाहर निकालना है तो युद्ध के नगाड़े बजाए जाएं। राजा के सिपाहियों ने ऐसा ही किया और जैसे ही नगाड़े बजने शुरू हुए, हाथी में जोश आ गया और उसके पैर तेजी से चलने लगे। वह बिना किसी की मदद से खुद ही दलदल से बाहर आकर दौड़ पड़ा।

इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि यदि हमारे मन में एक बार उत्साह-उमंग जाग जाए तो फिर हमें कार्य करने की ऊर्जा स्वतः ही मिलने लगती है और कार्य के प्रति उत्साह का मनुष्य की उम्र से कोई संबंध नहीं रह जाता।

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