नई दिल्ली. एससी-एसटी एक्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलितों का भारत बंद कई जगहों पर हिंसक हो गया है। मध्य प्रदेश के मुरैना में हुई झड़प में एक युवक की मौत हो गई है। राजस्थान के बाड़मेर और मध्य प्रदेश के भिंड में दो गुटों में हुई झड़प में करीब 30 लोग जख्मी हुए हैं। बाड़मेर में कई वाहनों में आग लगाई गई है। पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में भी बंद का व्यापक असर है। पंजाब में बंद के चलते सीबीएसई की परीक्षाएं टाल दी गई हैं। उधर, केंद्र सरकार आज इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर करेगी।
बंद का कहां क्या असर?
राजस्थान: बाड़मेर में दलित संगठनों और करणी सेना के बीच हुई झड़प हो गई, जिसमें 25 लोग जख्मी हो गए। हालात काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। यहां करणी सेना बंद के समर्थन में उतरी थी, जिसका दलित संगठनों ने विरोध किया। उधर, भरतपुर में महिलाएं हाथों में लाठियां लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करने उतरीं।
मध्यप्रदेश: मुरैना में भीम सेना और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों ने कई दुकानों में आग लगा दी और गोलीबारी करनी शुरू कर दी, जिसमें एक युवक की मौत हो गई। बंद समर्थकों ने रेलवे ट्रैक पर जाम लगा दिया।
- हिंसा को देखते हुए ग्वालियर के तीन थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया है। यहां 50 एटीएम तोड़फोड़ की गई।
- भिंड के गोहद, मेहगांव में कर्फ्यू लगा दिया गया है। यहां पांच लोग जख्मी हुए हैं।
पंजाब: स्कूल-कॉलेज, बसें और इंटरनेट बंद, सीबीएसई 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं टाली गईं। पटियाला में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें रोकीं। राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 12 हजारों जवानों को तैनात किया गया है।
बिहार:आरा, भागलपुर और अररिया के फोरबिसगंज में ट्रेनें रोकी गईं। यहां वामपंथी संगठन भी बंद का समर्थन कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश:गाजियाबाद में प्रदर्शन हुआ। मेरठ में हुए पथराव में कुछ वाहनों को नुकसान पहुंचा।
ओडिशा: ट्रेनें रोकी गईं।
रांची:पुलिस और प्रदर्शकारियों के बीच झड़प हुई। पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। कई लोग जख्मी हो गए। गुस्साए लोगों ने पुलिस पर पथराव किया।
दलित संगठनों की क्या मांग है?
- संगठनों की मांग है कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन को वापस लेकर एक्ट को पहले की तरह लागू किया जाए।
केंद्र क्या दलील दे सकता है?
- सूत्रों के मुताबिक, केंद्र की पिटिशन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की दलील होगी कि इस फैसले से एससी-एसटी एक्ट के प्रावधान कमजोर होंगे। लोगों में इस कानून का खौफ घटेगा, जिसकी वजह से इसके उल्लंघन के मामले भी बढ़ेंगे।
कांग्रेस ने कहा- सरकार ने केस ठीक से पेश नहीं किया
- कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "निश्चित ही रिव्यू पिटीशन दायर करनी चाहिए, यह सरकार का हक है। हालांकि, असल सवाल यह है कि सरकार इस केस को सुप्रीम कोर्ट में ठीक ढंग से पेश करने में नाकाम क्यों रही, इसकी जांच होनी चाहिए।"
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था
- सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को जारी एक आदेश में एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए इसके तहत तत्काल गिरफ्तारी या आपराधिक मामला दर्ज करने पर रोक लगा दी थी।
- कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी थी।
- केंद्रीय मंत्रियों रामविलास पासवान और थावरचंद गहलोत की अगुआई में एससी-एसटी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर विरोध दर्ज करवाया था।
Comment Now