भोपाल। सरकार की कार्यप्रणाली देखिए...प्रदेश के स्टार्टअप को फंडिंग करने के लिए जिस कंपनी की स्थापना की गई, अब वह ही पैसों की कमी से जूझ रही है। राज्य सरकार ने पिछले साल 100 करोड़ रुपए की वेंचर कैपिटल फंड कंपनी बनाने की घोषणा की थी।
कंपनी को 20 करोड़ रुपए सरकार से मिलने थे और बाकी के 80 करोड़ रुपए उसे बाजार में निवेशकों से जुटाने थे, लेकिन अभी तक सरकार ने सिर्फ 5 करोड़ रुपए कंपनी को दिए हैं और बाजार से तो कंपनी पैसा जुटा ही नहीं सकी है।
सिडबी और डीएफआईडी से नहीं बन पाई बात
कंपनी ने स्मार्ट इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) से 20 करोड़ रुपए और यूनाइटेड किंगडम के डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफआईडी) से 20 करोड़ रुपए निवेश के लिए बातचीत शुरू की थी, लेकिन यह बातचीत अंतिम चरण तक नहीं पहुंच सकी। सिडबी और डीएफआईडी ने कुछ शर्तें रखी थीं, जिसे कंपनी के बोर्ड की मंजूरी नहीं मिली। इस वजह से दोनों ही कंपनियों से बातचीत आगे नहीं बढ़ सकी।
नौकरशाही की भेंट चढ़ा प्लान
वेंचर कैपिटल फंड के लिए बाजार से करीब 80 करोड़ रुपए जुटाने थे। इसके लिए एक पॉलिसी तैयार कर कंपनी के बोर्ड को अगस्त 2017 में ही भेज दी गई थी, लेकिन उद्योग विभाग और वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पॉलिसी को मंजूरी नहीं दी। डीएफआईडी ने भी कंपनी से एक एक्शन प्लान मांगा था, लेकिन उस पर भी कोई चर्चा नहीं हुई।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कंपनी के पूर्व एमडी और सीईओ डॉ. संदीप कड़वे ने भी अपने इस्तीफे में इस मुद्दे को उठाया था। राज्य सरकार ने भी वेंचर कैपिटल फंड कंपनी को अब तक 15 करोड़ रुपए नहीं दिए हैं। इस बारे में वेंचर कैपिटल फंड की मौजूदा एमडी और आईएएस स्मिता भारद्वाज से कई बार मोबाइल फोन लगाकर बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
कंपनी सेक्रेटरी ने भी दिया इस्तीफा
वेंचर कैपिटल फंड में अब काम करने वाले लोग भी धीरे-धीरे कंपनी छोड़ रहे हैं। सीईओ डॉ. कड़वे के बाद अब कंपनी सेक्रेटरी अंकुश तिवारी ने भी कंपनी से इस्तीफा दे दिया है। तिवारी ने कहा कि मैंने पेशेवर कारणों से इस्तीफा दिया है।
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