नई दिल्ली. मोसुल में आईएस के हाथों मारे गए 39 भारतीयों के शव लेने विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह 1 अप्रैल को इराक जाएंगे। इन भारतीयों के मारे जाने की आशंका जून 2014 में जताई गई थी। लेकिन, इसकी पुष्टि हाल ही में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में की थी। सुषमा ने कहा था- हम चाहते थे कि हर तरफ से हम संतुष्ट हो जाएं कि ऐसी कोई अनहोनी हुई है।
कैसे लगा पता?
- इराक के मोसुल शहर से पिछले साल आईएसआईएस का सफाया हो गया था। इसका एलान होने के अगले ही दिन विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह मोसुल गए। उन्होंने वहां भारतीयों का पता लगाने की कोशिश की। यहां कोई कामयाबी नहीं मिली।
- इसके बाद एक शख्स ने वीके सिंह को बताया कि बदूश शहर में एक टीले में बहुत से शव दफनाए गए हैं। इसके बाद भारत के राजदूत और वीके सिंह ने बदूश में डेरा डाल दिया। सिंह और उनके अफसर बदूश के एक खंडहरनुमा मकान में रुके। वे वहां जमीन पर सोते थे।
राडार से खोज
- सुषमा स्वराज ने संसद और बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- जब हमें ये पता लगा कि टीले में कुछ शव हैं तो हमने इराक सरकार के साथ मिलकर डीप पेनिट्रेशन राडार से सच्चाई का पता लगाने का फैसला किया।
- जब ये पुख्ता हो गया कि इसमें शव हैं तो हमने उसकी खुदाई करवाई। जो शव मिले उन सभी का डीएनए टेस्ट कराया गया। 98 से 100 फीसदी तक सैंपल मैच हो गए तो हमने संसद में इसकी जानकारी देना उचित समझा।
किन प्रदेश के रहने वाले थे मारे गए भारतीय?
- 31 लोग पंजाब के हैं। चार हिमाचल और बाकी बिहार और पश्चिम बंगाल के हैं।
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