भोपाल। प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली भोपाल और इंदौर में लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अडिग हैं। उन्होंने दिल्ली प्रवास के दौरान भी इसके संकेत देते हुए कहा कि सरकार कमिश्नर प्रणाली को लेकर गंभीरता के साथ विचार कर रही है। जल्द ही अंतिम निर्णय होगा। उधर, इस मुद्दे को लेकर आईएएस अफसरों ने जहां मौन साध लिया है तो आईपीएस अफसर काफी मुखर हैं।
प्रदेश में महिलाओं सहित बढ़ते अपराध को देखते हुए सरकार ने बड़े शहरों में पहले एसएसपी और फिर डीआईजी पदस्थ करने की व्यवस्था लागू की। पिछले दिनों पुलिस अधिकारियों की बैठक में यह बात सामने आई कि डीआईजी व्यवस्था जिस मंशा के साथ लागू की गई थी वो उतनी कारगर साबित नहीं हुई।
इसे देखते हुए एक बार फिर बड़े जिलों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने पर विचार किया गया। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कानून व्यवस्था की उच्च स्तरीय समीक्षा के दौरान पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के संकेत दिए। उन्होंने अधिकारियों को इसका मसौदा विधि विभाग को परीक्षण के लिए भेजने के निर्देश दिए।
उधर, सूत्रों का कहना है कि आईएएस अधिकारी इस व्यवस्था के पक्ष में नहीं हैं लेकिन मुख्यमंत्री की मंशा को देखते हुए खुलकर मुखालफत नहीं कर रहे हैं। अधिकारियों ने इस मसले पर मौन साध लिया है तो आईपीएस अफसर काफी मुखर है।
वे पुलिस कमिश्नर प्रणाली के पक्ष में सार्वजनिक तौर पर तर्क रख रहे हैं। आईपीएस ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय राणा ने तो बाकायदा पुलिस कमिश्नर प्रणाली को स्मार्ट शहर से जोड़ते हुए समय की जरूरत तक करार दे दिया।
एडीजी बन सकते हैं पुलिस कमिश्नर
पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने की अटकलों के बीच सिस्टम के पिरामिड में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) स्तर के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर बनाया जा सकता है। पुलिस कमिश्नर के नीचे दो ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर बनाए जा सकते हैं जो आईजी स्तर होंगे। फिर पिरामिड में एडिशनल पुलिस कमिश्नर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी डीआईजी स्तर अफसरों को मिलेगी। इसी तरह डिप्टी पुलिस कमिश्नर एसपी स्तर के होंगे तो जूनियर आईपीएस या वरिष्ठ एसपीएस अधिकारियों को असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर बनाया जा सकेगा।
साढ़े पांच फीसदी आबादी पर लागू होगा
पुलिस मुख्यालय ने भोपाल व इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली का जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें बताया गया है कि मध्यप्रदेश की कुल आबादी में से केवल 5.6 फीसदी पर ही यह लागू होगा। प्रदेश की सात करोड़ 26 लाख आबादी में से भोपाल की 18.86 लाख तो इंदौर की 21.93 लाख आबादी है। भोपाल की आबादी प्रदेश की कुल आबादी का 2.59 प्रतिशत है तो इंदौर की आबादी 3.01 है।
डायल 100 से ज्यादा मदद मांगना भी आधार
प्रदेश की जनता मदद के लिए पुलिस की डायल 100 को बड़ी संख्या में बुलाती है। 2017 में प्रदेश में 20 लाख 1 हजार 984 कॉल डायल 100 के पास मदद के लिए आए, जिनमें से भोपाल में एक लाख 33 हजार 180 और इंदौर के 1 लाख 15 हजार 421 थे। ये कॉल आमतौर पर शोरगुल, ट्रैफिक जाम, जन अवरोध, वाहन चोरी, महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाओं के लिए किए गए। महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाओं पर मदद के लिए भोपाल व इंदौर में 4207 कॉल हुए हैं।
आंदोलन-जुलूस व वीवीआईपी प्रोग्राम
देश-प्रदेश में होने वाली घटनाओं की प्रतिक्रिया स्वरूप होने वाले आंदोलन और जुलूस को भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली का आधार बताया गया है। ऐसे आयोजनों में से करीब 15 फीसदी से ज्यादा भोपाल व इंदौर में होते हैं। इसी तरह 2017 में भोपाल व इंदौर में वीवीआईपी, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के न्यायाधीशों सहित मुख्यमंत्री के कार्यक्रम भी भोपाल व इंदौर में करीब 450 हुए।
दोनों शहरों में 28 फीसदी वाहन
प्रदेश में जितने वाहन पंजीकृत हैं, उनमें से करीब 28 फीसदी भोपाल और इंदौर में हैं। भोपाल में जहां 14.6 लाख वाहन हैं तो इंदौर में 16.78 लाख हैं। सायबर क्राइम के 2017 के कुल अपराधों का 64 फीसदी भोपाल-इंदौर में आंकड़ा रहा। भोपाल में 2386 तो इंदौर में 1181 सायबर क्राइम पंजीकृत हुए।
पहले सुरक्षा परिषद को पुनर्गठित करे सरकार: अजय दुबे
प्रदेश कांग्रेस के आरटीआई विभाग के अध्यक्ष अजय दुबे ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली पर मुख्यमंत्री के बयान पर कहा कि पहले सरकार 2013 से निष्क्रिय राज्य सुरक्षा परिषद को पुनर्गठित करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक पुलिस में विवेचना व कानून व्यवस्था को अलग नहीं किया गया। दुबे ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री केवल जनता को भ्रमित करने के लिए आधा सत्य बोल रहे हैं।
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