Thursday, 22nd May 2025

मेडिकल कॉलेज के प्राध्यापकों की भर्ती में फंसा आरक्षण का पेंच

Thu, Mar 29, 2018 5:10 PM

भोपाल। लंबे समय से मेडिकल कॉलेजों में रिक्त शैक्षणिक अमले (प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफसर) की भर्ती के लिए हो रही साक्षात्कार की प्रक्रिया में आरक्षण का पेंच फंस गया है।

अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष जेएन कंसोटिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह से मिलकर कॉलेजवार रोस्टर के आधार पर भर्ती को लेकर आपत्ति उठाई है।

कंसोटिया का कहना है कि राज्य स्तर से भर्ती होने पर आरक्षित वर्ग के व्यक्तियों को ज्यादा लाभ होगा। आरक्षण का विवाद उठने पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया ने दो पेज की नोटशीट लिखकर सामान्य प्रशासन विभाग से आरक्षण को लेकर अभिमत मांग लिया है। विभागीय उच्चाधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि अब साक्षात्कार तो होंगे पर नतीजे आरक्षण मुद्दे पर अंतिम निर्णय के बाद घोषित होंगे।

सूत्रों के मुताबिक पुराने छह और सात नए मेडिकल कॉलेजों में शैक्षणिक अमले के करीब एक हजार पद हैं। इनमें से ज्यादातर खाली थे। इन्हें भरने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने आदर्श भर्ती नियम जनवरी में बना दिए और कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी। कॉलेजों की स्वशासी संस्थाओं ने बाकायदा इन्हें लागू करने का प्रस्ताव पारित किया और सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी।

प्रत्येक कॉलेज चूंकि स्वशासी हैं, इसलिए उसने अपने यहां उपलब्ध पदों के हिसाब से आरक्षण रोस्टर लागू करके पद विज्ञापन कर दिए। भोपाल, विदिशा, दतिया सहित कई कॉलेजों में भर्ती भी हो गई। इसी दौरान आरक्षण रोस्टर का मुद्दा उठ गया।

इसको लेकर पिछले दिनों अजाक्स के प्रांताध्यक्ष जेएन कंसोटिया ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मुलाकात की और कॉलेजवार आरक्षण रोस्टर से आरक्षित वर्ग को हो रहे नुकसान का मुद्दा उठाया। साथ ही मांग उठाई कि राज्य स्तर से भर्ती होनी चाहिए, इससे आरक्षित वर्ग को ज्यादा मौका मिलेगा।

अजाक्स की आपत्ति को देखते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया ने बिना किसी का पक्ष लिए तथ्य सामने रखकर अभिमत मांगा है। सूत्रों के मुताबिक नोटशीट में विभाग ने बताया कि 1997 में मेडिकल कॉलेजों को स्वशासी बनाया गया। सेवा भर्ती नियम 1987 से भर्ती हुआ लगभग दस प्रतिशत अमला ही कॉलेजों में पदस्थ है।

स्वशासी संस्थाओं के कोई भर्ती नियम नहीं थे। इसके मद्देनजर मध्यप्रदेश स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय शैक्षणिक आदर्श सेवा नियम 2018 बनाए। इन्हें 12 जनवरी 2018 को कैबिनेट ने मंजूरी दी और कॉलेजों ने प्रस्ताव पारित कर लागू किया। कंसोटिया ने राज्य स्तर से भर्ती नहीं होने को लेकर आपत्ति उठाई। मार्च-अप्रैल में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया का कॉलेजों में निरीक्षण प्रस्तावित है।

इसके मद्देनजर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सामान्य प्रशासन विभाग से राज्य स्तरीय आरक्षण रोस्टर को लेकर अभिमत मांगा है। उधर, सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हर संस्था का नियुक्तिकर्ता अधिकारी अलग होता है। स्वशासी संस्था के अपने अलग भर्ती नियम होते हैं। आरक्षण रोस्टर संस्था स्तर पर ही बनता है। ऐसे में राज्य स्तर का रोस्टर लागू नहीं हो सकता है और पदों को भी एक साथ नहीं किया जा सकता है, फिर भी इस मामले में फैसला उच्च स्तर से ही होगा।

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