लखनऊ. राज्यसभा चुनाव में बीएसपी की हार के बाद पार्टी सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में सोमवार को बसपा के सभी वरिष्ठ नेताओं समेत सभी जोनल कॉआर्डिनेटरों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में मायावती ने बसपा कॉआर्डिनेटरों से सपा-बसपा गठबंधन को लेकर फीडबैक लिया। इसके साथ ही 2019 के चुनावों के लिए रणनीति पर भी चर्चा की। विधायक सुखदेव राजभर ने बताया कि गठबंधन की बात को दोहराते हुए बहनजी ने बताया है कि सपा और बसपा में ग्राउंड लेवल पर सामंजस्य बनाया जाए। मायावती आज दिल्ली जा रही हैं और कुछ नेताओं से वहां मुलाकात संभव है। विधायक विनय तिवारी ने बताया कि मायावती ने गठबंधन को लेकर जो बात कही थी उसी को आज दोहराया है। हमें तैयारियों में लगने को कहा गया है।
मोदी दलितों के साथ करते हैं नाटक
- इससे पहले सोमवार सुबह मायावती ने न्यूज एजेंसी से कहा कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में सिर्फ दलितों के साथ नाटक किया है। मायावती ने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी भले ही मन की बात में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हैं। लेकिन उनकी मानसिकता बाबा साहेब के लिए बिल्कुल विपरीत थी।
35 सीटों पर उतार सकती हैं कैंडिडेट
- उन्होंने ने बताया कि मायावती दिल्ली दौरे में उन सभी नेताओं से मुलाकात करेंगी जो गठबंधन में आ सकते हैं।
क्या कहा है एक्सपर्ट का
- दलित चिंतक राजेन्द्र गौतम का मानना है कि, मायावती ने अखिलेश को कम तजुर्बेदार बताया है। इस मीटिंग के जरिए वो अपने कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाना चाहती हैं कि अगर गठबंधन की राजनीति आगे बढ़ी तो वो खुद गठबंधन की नेता के रूप में सबके सामने आ सकती हैं।
भाजपा के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी
- राज्यसभा में हार के बाद मायावती ने लखनऊ में कहा था कि, "सपा-बसपा भाजपा के खिलाफ लड़ते रहेंगे। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए मजबूती से लड़ा जाएगा। राज्यसभा चुनाव में सपा और बसपा के विधायकों को वोट डालने से रोका गया। भाजपा ने विधायकों पर पुलिस का खौफ दिखाकर धमकाया, उन्होंने डरकर भाजपा को वोट दिया।"
कम तजुर्बेदार बताते हुए दी थी क्लीन चिट
मायावती ने कहा था कि अखिलेश यादव अभी राजनीति में कम तजुर्बेदार हैं। हकीकत में गेस्ट हाउस कांड से अखिलेश का नाम जोड़ना ठीक नहीं है। जब यह कांड हुआ था तब अखिलेश राजनीति में नहीं थे।"
गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव में सपा का किया था समर्थन
- गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में बसपा ने सपा कैडिंडेट का समर्थन किया था। जिसके बाद दोनों ही सीटों पर सपा की जीत हुई थी। बसपा के सहयोग के कारण ही योगी आदित्यनाथ की सीट गोरखपुर पर सपा ने जीत दर्ज की थी।
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