Thursday, 22nd May 2025

कश्मीर में आधार का असर: आतंकी सिम नहीं बदल पा रहे, सेना की निगरानी भी प्रभावित

Mon, Mar 26, 2018 6:22 PM

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में मोबाइल को आधार से लिंक करने का कुछ अलग ही असर दिख रहा है। इससे सैन्य बलों के ऑपरेशन भी प्रभावित होने लगे हैं। दरअसल, यहां सैकड़ों सिम कार्ड आधार से जोड़े ही नहीं गए। माना जा रहा है कि ये या तो आतंकियों या उनके मुखबिरों के पास थे। अब सिम बंद हो गई हैं। ऐसे में उनकी लोकेशन ट्रैक करने में दिक्कत आ रही है। इससे सैन्य बलों की निगरानी चरमरा गई है।

आतंकियों ने फर्जी पतों पर ली थीं सिम

- राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आतंकियों ने बड़ी तादाद में फर्जी पतों पर सिम कार्ड लिए थे। एक-एक आतंकी 10 से 20 सिम तक इस्तेमाल कर रहा था। इतना ही नहीं, ​सिम कार्ड बहुत तेजी से बदल भी जाते थे। अब आतंकियों को पुरानी सिम से ही काम चलाना पड़ रहा है। मिलिट्री इंटलीजेंस से जुड़े एक आला अधिकारी ने बताया कि आतंकी या ओजीडब्ल्यू (ओवर ग्राउंड वर्कर) आधार से लिंक हो चुके मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।

मोबाइल ट्रैकिंग से सूचनाएं नहीं मिल पा रहीं

असर.. सेना के सफल ऑपरेशन घटे

- मिलिट्री इंटलीजेंस के एक बड़े अफसर ने बताया कि सूचना नहीं मिल पा रही, इसिलए आतंकियों के खिलाफ कामयाब ऑपरेशन में कमी आई है। इस साल अभी तक​ सिर्फ दो ऑपरेशन ऐसे हुए जिनमें आतंकी मारे गए और सुरक्षा बल को नुकसान नहीं हुआ। इस साल छह बड़ी वारदातों में से तीन में सुरक्षाकर्मियों की जानें गईं।

आतंकियों अब इस तरह कर रहे कम्युनिकेशन
1. ईमेल पासवर्ड शेयरिंग :आतंकी आपस में ईमेल पासवर्ड शेयर कर लेते हैं। मेल लिखकर उसे सेंड करने की जगह ड्राफ्ट में सेव कर देते हैं। दूसरा आतंकी उसी पासवर्ड से ईमेल खोलकर ड्राफ्ट का मैसेज पढ़ लेता है। इसका कोई तोड़ अभी सुरक्षा एजेंसियों के पास नहीं हैं।
2. ट्विटर पर कोड वर्ड में बात:इसमें कोड वर्ड में बात होती है। इन्हें पढ़ना और मतलब समझ पाना आसान नहीं होता। आतंकी इसका काफी इस्तेमाल कर रहे हैं।

सरहद पर आतंकियों के ‘रिसेप्शन सेंटर’ प्रभावित
- एलओसी पार कर जिन जगहों पर आतंकी पनाह लेते हैं उन्हें सुरक्षा एजेंसियों की जुबान में ‘रिसेप्शन सेंटर’ कहते हैं।

 

- सरहद के पास के गांव और कस्बों के मोबाइल आधार लिंक से होने के बाद इन रिसेप्शन सेंटरों की गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं। पता चला है कि आतंकी अब ऐसे घरों में पनाह ले जहां कोई भी मोबाइल आधार से न जुड़ा हो। आतंकियों को इसकी सूचना पहले ही दे दी जाती है।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery