भोपाल । चुनावी साल में नाराज चल रहे संविदा कर्मचारियों को मनाने की कोशिश में जुटी सरकार ने आखिरकार फार्मूला तय कर लिया है। इसके तहत विभागों के सेटअप में सीधी भर्ती के पदों पर एक कोटा तय कर दिया जाएगा। कोटे के हिसाब से मेरिट पर नियमित स्थापना में नियुक्ति (संविलियन) होती जाएगी।
ऐसे पद, जो कभी नियमित श्रेणी में नहीं आने वाले हैं, उनमें निरंतरता के लिए संविदा कर्मचारियों को बार-बार आवेदन नहीं करना होगा। वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव द्वारा पिछले सप्ताह वरिष्ठ अकिारियों के साथ की गई बैठक में इस फार्मूले पर सहमति बन गई है। इसकी औपचारिक घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री निवास पर प्रस्तावित पंचायत में करेंगे।
मुख्यमंत्री के संविदा व्यवस्था को अन्यायपूर्ण करार देने और समस्या का स्थायी हल निकालने की घोषणा के बाद श्रीवास्तव ने सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मंत्रालय में बैठक की थी। इसमें फार्मूले पर सहमति बन गई है। इसकी प्रति 'नईदुनिया" के पास उपलब्ध है। कुछ विभागों ने तो अधीनस्थ कार्यालयों को इसके हिसाब से कार्यवाही करने के निर्देश भी दे दिए हैं। हालांकि अंतिम फैसला मुख्यमंत्री करेंगे, जो अभी होना बाकी है। संविदा अधिकारी-कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष रमेश राठौर ने सरकार द्वारा फार्मूला तय करने की पुष्टि करते हुए कहा कि ज्यादातर मांगों पर सरकार का रुख सकारात्मक है। अब इंतजार सिर्फ घोषणा का है।
पौने तीन लाख हैं संविदाकर्मी
प्रदेश में करीब पौने तीन लाख संविदा अधिकारी-कर्मचारी हैं। लंबे समय से ये लोग नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे हैं। संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने तो पूरा कामकाज ठप कर दिया है। मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह और अधिकारी, कर्मचारी संगठनों से कई दौर की बात कर चुके हैं। कर्मचारियों की मुख्य मांग नियमितीकरण और वेतनमान की रह गई है। इसे दूर करने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय और वित्त विभाग के अधिकारी काफी दिनों से चर्चा कर रहे हैं।
यह फार्मूला तय हुआ
- ऐसे पद, जो विभाग के सेटअप में संविदा कर्मचारियों के समान हैं, उन्हें चिन्हित कर सीी भर्ती के पदों में संविदा कर्मचारियों का एक निश्चित कोटा तय किया जाएगा। इससे संविदाकर्मियों का नियमित स्थापना में संविलियन हो जाएगा।
- ऐसे पद, जो विभाग के सेटअप में स्वीकृत नहीं है और पदों की जरूरत है, उनके लिए सेटअप स्वीकृत करने के प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजकर स्वीकृत कराए जाएंगे।
- ऐसे पद, जो परियोजना विशेष तक के लिए हैं और उनकी परियोजना समाप्त होने के बाद जरूरत नहीं होगी, उन्हें संविदा पद ही निरंतर रखा जाएगा। संविदा कर्मचारियों से बार-बार निरंतरता के लिए आवेदन नहीं भरवाए जाएंगे, ताकि भविष्य पर तलवार न लटकी रहे।
नहीं पड़ेगा ज्यादा आर्थिक भार
सूत्रों का कहना है कि जिन विभागों में संविदाकर्मी काम कर रहे हैं और वहां पद पहले से स्वीकृत हैं। इसके विरुद्ध बजट में वेतन-भत्ते आदि का इंतजाम करके रखा जाता है। इसके अलावा जो पद परियोजनाओं के हैं, उसमें प्रशासनिक खर्च के लिए छह फीसदी तक राशि केंद्र या राज्य सरकार योजना में ही देती है। यही वजह है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित करने या सेवा निरंतरता में कोई खास अतिरिक्त वित्तीय भार खजाने पर नहीं आएगा।
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