भोपाल। मध्यप्रदेश में बाघों के साथ तेंदुओं की संख्या और उनका आतंक लगातार बढ़ रहा है। तीन साल पहले तक प्रदेश में डेढ़ हजार तेंदुए बताए गए थे। यह आंकड़ा अब 1900 पार कर रहा है। यह आंकड़ा वन विभाग की आंतरिक गिनती में सामने आया है। विभाग ने पिछले साल सभी जिलों में गिनती कराई थी। तेंदुओं के साथ घटनाएं भी बढ़ी हैं। पिछले हफ्ते रायसेन जिले की दो रेंज से तीन तेंदुए पकड़े गए हैं। इनमें से एक की वन विहार में मौत हो चुकी है।
मार्च में इंदौर और रायसेन जिले में तेंदुए के हमले की चार घटनाएं सामने आई हैं। इंदौर के रिहाइशी इलाके में तेंदुए ने दहशत फैला दी थी तो रायसेन जिले के गैरतगंज के पास एक व्यक्ति पर हमला कर दिया था। औबंदुल्लागंज वन मंडल की बाड़ी रेंज के भगदेई गांव के नजदीक से एक तेंदुआ 21 मार्च को पकड़ा गया था। तेंदुए के कारण क्षेत्र में दहशत का माहौल था। इसको पकड़ने के दूसरे ही दिन दूसरा तेंदुआ गांव के नजदीक देखा गया। फिर उसे भी पकड़कर वन विहार लाया गया है। इससे पहले छिंदवाड़ा वनमंडल में लगातार बच्चों को खींचकर ले जाने की घटनाओं में भी तेंदुए की उपस्थिति बताई जा रही है। इसे देखते हुए वन विभाग ने मैदानी अमले को सतर्क रहने को कहा है।
पन्ना-छतरपुर में सबसे ज्यादा तेंदुए
रिपोर्ट के मुताबिक पन्ना तहसील और छतरपुर के बिजावर में प्रदेश में सबसे ज्यादा 74-74 तेंदुए हैं। जबकि बांधवगढ़ में 64, सीधी के गोपदबनास में 57, रायसेन जिले की गौहरगंज तहसील में 41, मुरैना के बिजयपुर और मंदसौर के भानपुरा में 29-29 तेंदुए पाए गए। सूत्र बताते हैं कि यह आंकड़ा एक साल पुराना है। वर्तमान में संख्या बढ़ भी सकती है।
लोगों को सतर्क करने का अभियान
वन विभाग ने जंगल के अंदर रहने वाले ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए अभियान चला दिया है। बीटगार्ड ऐसे गांवों में जाकर लोगों को सलाह दे रहे हैं कि वे रात में अकेले न निकलें। जरूरी हो तो झुंड में निकलें। घरों में मजबूत दरवाजे लगाएं और गर्मी में घर के बाहर न सोएं। लोगों को जंगल जाने की सख्त मनाही है, क्योंकि तेंदुआ धोखे से वार करता है और वह झाड़ियों में छिपा हो सकता है।
मैदानी अमले को निर्देश
ग्रामीणों को सुरक्षित तरीके से रहने के तरीके बताए जा रहे हैं। मैदानी अमले को इस काम में लगाया गया है। जहां घटनाएं सामने आ रही हैं। वहां से जानवर को शिफ्ट भी किया जा रहा है। एक साल पुरानी गणना में करीब 1900 तेंदुए हैं। नई गणना के आंकड़े साल के अंत तक आएंगे - आलोक कुमार, अपर प्रान मुख्य वनसंरक्षक, वाइल्ड लाइफ
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