रायगढ़. शहर के आदिशक्ति पीठ बुढ़ी माई मंदिर मे लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है। यहां सैकड़ों की संख्या मे देवी भक्तो ने मनोकामना दीप जलाए हैं। यहां शुक्रवार की सुबह दर्जनों की संख्या मे लगभग 60 से 70 मनोकामना दीप बुझे हुए मिले।
रायगढ़ शहर की देवी मानी जाने वाली बुढी मांई मंदिर में ट्रस्ट की देखरेख के बावजूद श्रद्धालु भक्तों की भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है। इस प्राचीन मंदिर में शहर व जिले ही नहीं बल्कि पड़ोसी प्रांत ओड़ीसा तथा छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों से भी भक्त विशेष कर नवरात्रि के दिनों में देवी दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इनमें से सैकड़ो भक्तों के द्वारा अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए मंदिर परिसर में बकायदा रसीद कटवाकर मनोकामना जोत प्रज्जवलित किए जाते हैं। नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक इन मनोकामना दीपों की देखरेख तथा इनके सतत प्रज्जवलन की जिम्मेदारी मंदिर ट्रस्ट के उपर होती है। क्योंकि ये ज्योत न केवल भक्तों की आस्था से जुड़े हुए हैं। बल्कि इनमें से कई लोग भावनात्मक रूप से इस ज्योत से जुड़े हुए रहते हैं, लेकिन शहर के इस प्रतिष्ठित देवी मंदिर में भक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है और मनोकामना दीप के लिए पूरी राशि लेने के बावजूद दीप जलाने में लापरवाही बरती जा रही है। जिसका नजारा शुक्रवार की सुबह तब देखने को मिला जब लोग देवी दर्शन के लिए मंदिर में पहुंचे। पूजा अर्चना पश्चात वे जब दीप दर्शन के लिए पहुंचे तो यह देखकर अवाक रह गए कि इस वर्ष मंदिर परिसर में जलाए गए करीब 1 हजार दीपों में से दो चार नही बल्कि 60 से 70 ज्योत बुझे हुए पाए गए। ज्योत की देखरेख करने वाले मंदिर के युवक से चर्चा करने पर वह बगले झांकने लगा। तो दूसरी ओर मंदिर के पुजारी ने ज्योत की व्यवस्था से ही पल्ला झाड़ लिया। सवाल यह उठता है कि जब लोग पूरी आस्था के साथ इससे जुड़े हैं तो ऐसे में एक दो ज्योत बुझ जाना भूल के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। मगर एक साथ दर्जनों जोतों का बुझा मिलना कहीं न कहीं मंदिर समिति के देखरेख करने वालों तथा ट्रस्ट्रीयों की लापरवाही की ओर इशारा करता है।
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