नई दिल्ली.आधार से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि आधार स्कीमों को लेकर यूआईडीएआई (आधार अथॉरिटी) के सीईओ को कोर्ट में पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन (पीपीटी) की इजाजत दी जाए। इस पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, ''कोर्ट बेंच के अन्य जजों से सलाह लेकर पीपीटी के लिए वक्त निर्धारित करेगा। आधार की डाटा सिक्युरिटी, इसे लागू करने और सर्विलांस को लेकर कई टेक्नीकल प्वाइंट हैं।'' बता दें कि आधार से जुड़ीं याचिकाओं पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है।
वैधता पर फैसला आने तक आधार लिंक की सीमा बढ़ी थी
- 13 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि आधार को जबरदस्ती सरकारी सेवाओं के लिए अनिवार्य नहीं किया जा सकता। आधार की वैधता पर फैसला आने तक इसे लिंक करने की तारीख आगे बढ़ाई जाती है।
- इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 31 मार्च तक फैसला देना संभव नहीं है। 15 दिसंबर को भी बैंक और मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने की सीमा 31 मार्च तक बढ़ाई थी।
आधार मामले में सुनवाई क्यों?
- याचिकाओं में बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर से आधार लिंक करना जरूरी किए जाने के नियम को भी चुनौती दी गई है। पिटीशनर्स का कहना है कि ये गैर-कानूनी और संविधान के खिलाफ है।
- इनमें कहा गया है कि यह नियम संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 के तहत दिए गए फंडामेंटल राइट्स को खतरे में डालता है। हाल ही में 9 जजों की की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच ने कहा था कि राइट ऑफ प्राइवेसी फंडामेंटल राइट्स के तहत आता है।
ये है मामला
- बता दें कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए केंद्र ने आधार को जरूरी किया है। इसके खिलाफ तीन अलग-अलग पिटीशन्स सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई थी। इनमें आधार की कानूनी वैधता, डाटा सिक्युरिटी और इसे लागू करने के तरीकों को चुनौती दी गई है।
- पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सरकार और उसकी एजेंसियां योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को जरूरी ना बनाएं। बाद में कोर्ट ने केंद्र को ये छूट दी थी कि एलपीजी सब्सिडी, जनधन योजना और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में लोगों से वॉलियन्टरी आधार कार्ड मांगे जाएं।
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