Sunday, 25th May 2025

एमवाय अस्पताल में शुरू होगा स्टेम सेल बैंक, 180 डिग्री पर सहेजेंगे

Wed, Mar 21, 2018 7:24 PM

इंदौर। एमवाय अस्पताल में जल्द ही स्टेम सेल बैंक शुरू होगा। स्वस्थ स्टेम सेल्स को मरीज के शरीर से निकालकर इसी हालत में माइनस 180 डिग्री पर दो से चार साल तक सहेजा जा सकेगा, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें मरीज के शरीर में दोबारा इंजेक्ट (प्रवेश) कराया जा सके। बैंक शुरू होने के बाद बोन मैरो ट्रांसप्लांट आसान होगा और कई तरह के ब्लड कैंसर के इलाज में मदद मिलेगी। इस संबंध में प्रस्ताव कमिश्नर को सौंपा जा चुका है। शासन स्तर पर मंजूरी मिलते ही दो-तीन महीने में बैंक काम करना शुरू कर देगा।

यह जानकारी फोर्टिस अस्पताल के बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. राहुल भार्गव ने दी। एमवाय अस्पताल के बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) यूनिट में ट्रांसप्लांट कराने वाले पहले दोनों मरीजों को सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। दोनों की आंखों में खुशी के आंसू थे। परिजन भी समझ नहीं पा रहे थे कि वे कैसे डॉक्टरों का शुक्रिया अदा करें। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने दोनों मरीजों को कार्यक्रम आयोजित कर विदाई दी। इस दौरान डॉ. भार्गव सहित संभागायुक्त संजय दुबे, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. शरद थोरा, एमवायएच अधीक्षक डॉ. वीएस पाल, कैंसर अस्पताल अधीक्षक डॉ. रमेश आर्य भी थे।

एक करोड़ आएगी लागत

डॉ. भार्गव ने बताया स्टेम सेल बैंक की लागत करीब एक करोड़ रुपए होगी। उन्होंने बीएमटी यूनिट की तारीफ करते हुए कहा कि यह विश्वस्तरीय है। इसे कुछ और अपग्रेड कर दिया जाए तो यहां मुश्किल बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी आसानी से होने लगेंगे। कमिश्नर ने स्वीकारा कि यूनिट तैयार करने वाले पीडब्ल्यूडी और ठेकेदार को इसे बनाने का अनुभव नहीं था। इसके बावजूद उन्होंने अच्छा काम किया। कार्यक्रम में यूनिट में काम करने वाले डॉक्टरों के साथ नर्सिंग स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का भी सम्मान किया गया।

जिंदगी की उम्मीद छोड़ चुके थे, एमवायएच में मिला नया जीवन

बीएमटी यूनिट से डिस्चार्ज हुए दोनों मरीजों इंदौर के उपेंद्र जैन और नीमच की कुसुमलता शर्मा ने डॉक्टरों को धन्यवाद देते हुए कहा कि हम जिंदगी की उम्मीद छोड़ चुके थे, यहां हमें नया जीवन मिला है। निजी अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का खर्च लाखों में बताया था लेकिन एमवायएच में यह पूरी तरह से मुफ्त हुआ।

इंदौर के एमवाय अस्पताल में शुरू होगा स्टेम सेल बैंक
 

उपेंद्र जैन ट्रांसपोर्ट व्यवसायी हैं। करीब चार साल पहले बेटी के जन्मदिन पर उन्हें पता चला था कि उन्हें मल्टीपल मायलोमा है। उन्होंने इलाज के लिए इंदौर के अलावा मुंबई, दिल्ली में भी प्रयास किया लेकिन कहीं सफलता नहीं मिली। कहीं बजट क्षमता से बाहर था तो कहीं डॉक्टरों ने कहा कि सफलता की कोई गारंटी नहीं। आखिर उन्होंने एमवायएच में तैयार हुई यूनिट में पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने के लिए हांमी भरी। उन्हें 3 मार्च को उन्हें भर्ती किया गया था। पत्नी अंजलि हर पल उनके साथ रही। उनकी दोनों बेटियां बेसब्री से पिता का इंतजार कर रही थीं। 8 साल की मान्या सोमवार को अस्पताल से घर ले जाने आई।

उदयपुर से ले आए वापस

कुसुमलता शर्मा और उनके पति ओमप्रकाश 13 दिन यूनिट में रहे। 8 महीने पहले कुसुमलता में मल्टीपल मायलोमा बीमारी का पता चला था। पति उन्हें उदयपुर भी ले गए, लेकिन इलाज बहुत महंगा था। आखिर वे इंदौर ले आए। एमवायएच में बीएमटी यूनिट शुरू हुई तो निश्चय किया कि यहीं ट्रांसप्लांट कराएंगे। 5 मार्च को कुसुमलता को भर्ती किया गया था। उनके बच्चे तभी से उनका इंतजार कर रहे थे।

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