Thursday, 22nd May 2025

लाल आतंक झेल रहे इलाके में अब भी नहीं मिलता मोबाइल नेटवर्क

Tue, Mar 20, 2018 5:46 PM

रायपुर,  यह तस्वीर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 320 किमी दूर जगदलपुर के पास स्थित कावापाल गांव की है। मोबाइल नेटवर्क तलाशने ग्रामीणों ने इमली के पेड़ पर मचान बनाया है और उस वहां तक पहुंचने के लिए 50 फीट की सीढ़ी। यह स्थिति संभागीय मुख्यालय से केवल 35 किमी दूर की है तो धुर नक्सल प्रभावित नारायणपुर, बीजापुर और सुकमा जैसे जिलों की क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरे संभाग के महज 19 फीसदी हिस्से में ही मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध है। लाल आतंक का दंश छेल रहा बस्तर संभाग में सात जिले हैं और कुल क्षेत्रफल 39 हजार वर्ग किमी से अधिक। वहां करीब 31 लाख 86 हजार लोग रहते हैं। इतने बड़े क्षेत्र में केवल 841 मोबाइल टावर हैं। इनमें भी ज्यादातर बीएसएनएल के हैं, जो पुरानी तकनीक के हैं। इस वजह से टावर होने के बावजूद नेटवर्क की समस्या बनी रहती है। केंद्र व राज्य सरकार की तमाम कोशिश के बावजूद संभाग में नेटवर्क का विस्तार नहीं हो पा रहा है।

50 हजार से अधिक फोर्स के जवान

संभाग में 50 हजार से अधिक केंद्रीय फोर्स के जवान है, जो दूसरे राज्यों से आए हैं। मोबाइल नेटवर्क की तलाश में छत या पेड़ पर चढ़े जवान अक्सर दिख जाते हैं।

सबसे खराब स्थिति बीजापुर की

संभाग के बीजापुर जिले में मोबाइल नेटवर्क की उपलब्धता पांच फीसदी से भी कम है। नारायणपुर में भी यह आंकड़ा आठ फीसदी से कम है। बस्तर, कोंडागांव व कांकेर में ही आंकड़ा 30 फीसदी के आसपास है।

841 में 644 बीएसएल के टॉवर बस्तर के

सात जिलों में अभी कुल 841 टॉवर हैं। इनमें से करीब 644 अकेले बीएसएनएल के हैं। इनमें से ज्यादातर पुरानी तकनीक या कम फ्रिक्वेंसी के हैं। इसकी वजह से हमेशा नटवर्क की समस्या बनी रहती है। निजी कंपनियों के करीब 197 टॉवर हैं। इनमें से अधिकांश वहां के शहरी क्षेत्रों में हैं।

बिछा रहे ओएफसी का जाल

बस्तर नेट परियोजना के तहत सरकार बस्तर संभाग में करीब 836 किमी ऑप्टिक फाइवर केबल (ओएफसी) बिछा रही है। नक्सली खतरे को देखते हुए डब्ल सर्किट लाइन बिछाई जा रही है, ताकि सेवा निर्बाध रहे। अब तक 600 किमी का काम हो गया है। इसके पूरा होने से बस्तर में इंटरनेट नेटवर्क का विस्तार होगा।

मोबाइल कंपनियों के लिए घाटे का सौदा

राज्य बनने के बाद से बस्तर संभाग में उद्योगों का विस्तार हुआ है। माइंस की वजह से कई बड़े कारखाने स्थापित हुए हैं, इसके बावजूद मोबाइल कंपनियों को वहां व्यापार घाटे का सौदा लगता है। यह भी सच्चाई है कि मोबाइल टॉवरों को नक्सलियों से भी खतरा रहता है। नक्सली टॉवरों को कई बार क्षतिग्रस्त कर चुके हैं। यही वजह है कि बस्तर में ज्यादार टॉवर केवल बीएसएनएल के ही हैं।

फैक्ट फाइल

- 42% है छत्तीसगढ़ में टेलीकॉम का कवरेज एरिया।

- 19.14 % है बस्तर संभाग में टेलीकॉम का कवरेज एरिया।

- 841 मोबाइल टॉवर हैं अभी बस्तर संभाग में।

- 434 मोबाइल टॉवर और लगाने की है जरुरत।

- 31 लाख 86 हजार 946 है बस्तर की आबादी।

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