साल 2013 के विधानसभा चुनाव में महू में विजयवर्गीय ने दरबार को पराजित किया था।
इंदौर.महू विधायक और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के निर्वाचन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर सिविल अपील पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होना थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरके अग्रवाल व जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की बेंच के समक्ष केस लगा भी लेकिन जस्टिस सप्रे ने सुनवाई होने के बाद इस केस से खुद को अलग कर लिया।
सुनवाई के बाद जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में लिखा गया कि यह केस नए सिरे से सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस के पास भेजा जाता है, वह नई बेंच गठित करेंगे। सोमवार से पहले भी यह याचिका चार बार सुनवाई के लिए मेंशन की गई थी, लेकिन केस नहीं लग पा रहा था। नई बेंच गठित होने के बाद अब फिर सुनवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में महू में विजयवर्गीय ने दरबार को पराजित किया था। इस निर्वाचन को शून्य घोषित करने की मांग को लेकर दरबार ने हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की थी, जिसे सुनवाई के बाद जस्टिस आलोक वर्मा ने साल 2017 में विजयवर्गीय के पक्ष में फैसला देते हुए खारिज कर दिया था। इसी फैसले के खिलाफ दरबार ने अधिवक्ता रवींद्र सिंह छाबड़ा के जरिए सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है।
इंदौर में भी रह चुके जस्टिस सप्रे : जस्टिस सप्रे वर्ष 2012 तक मप्र हाई कोर्ट इंदौर में भी जस्टिस रह चुके हैं। जानकारों का मानना है पक्षकार या वकील परिचित होता है तो प्राय: कोर्ट सुनवाई से खुद को अलग कर लेती है।
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