Saturday, 24th May 2025

चारा घोटालाः लालू पर फैसला बाकी, पूर्व CM जगन्नाथ मिश्रा बरी

Mon, Mar 19, 2018 7:20 PM

रांची। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद व डॉ. जगन्नाथ मिश्र से जुड़े दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में सुनवाई चल रही है।

अरुण कुमार सिंह, कृष्ण कुमार प्रसाद, अजीत सिंह को दोषी करार दिया गया है। जबकि पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया है। रांची की विशेष अदालत में जज फैसला सुना रहे हैं।

फैसले को लेकर सभी अभियुक्तों को अदालत में उपस्थित हो चुके हैं। बीमारी की वजह से लालू प्रसाद यादव कोर्ट में नहीं पहुंचे हैं। बताते चलें कि 12 बजे तक सभी अभियुक्तों को हाजिर होने का आदेश जारी किया गया था। जेल में बंद अभियुक्तों को कोर्ट भेजने के लिए जेल प्रशासन को आदेश भेजा गया है। यह मामला दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ रुपए की अवैध निकासी को लेकर दर्ज हुआ था।

वहीं, सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने चारा घोटाला में तत्‍कालीन एजी पीके मुखोपाध्याय, डिप्टी एजी बीएन झा, एजी ऑफिस के सीनियर अकाउंट ऑफिसर प्रमोद कुमार को अभियुक्त बनाया है। इसके लिए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।

तत्‍कालीन एजी को आरोपित करने की रखी मांग - 

 

लालू प्रसाद यादव ने बिहार के तत्कालीन एजी पीके मुखोपाध्याय, डिप्टी एजी बीएन झा और एजी ऑफिस के सीनियर डायरेक्टर जनरल प्रमोद कुमार को आरोपित किए जाने और उनके खिलाफ समन जारी करने को लेकर सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की कोर्ट में आवेदन दिया था। उसके बाद बीते गुरुवार को लालू प्रसाद यादव की ओर से एक और आवेदन दाखिल कर कहा गया कि जब तक आरोपित बनाए जाने से संबंधित आवेदन पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तबतक के लिए फैसला को टाल दिया जाए।

आवेदन पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने उक्‍त फैसला दिया। कोर्ट ने सीबीआइ कोर्ट ने अभियोजन स्वीकृति आदेश प्राप्त कर सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मुकदमा चलाने के लिए संबंधित सह सक्षम अधिकारी से अभियोजन स्वीकृति आदेश प्राप्त कर एक माह में यानी 16 अप्रैल तक जमा करने का आदेश दिया है।

दुमका कोषागार से जुड़ा है मामला - 

 

विदित हो कि तत्‍कालीन बिहार (अब झारखंड) के दुमका कोषागार से करीब 3.76 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में दर्ज मुकदमा नंबर आरसी 38ए/96 में लालू प्रसाद यादव, डॉ. जगन्‍नाथ मिश्र, पूर्व सांसद डॉ. आरके राणा व जगदीश शर्मा सहित कुल 31 आरोपी हैं। इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित अन्य पर धोखाधड़ी और अन्‍य धाराओं में मुकदमा दर्ज है। इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने पांच मार्च को सुनवाई पूरी की थी।

लालू यादव पर ये हैं आरोप - 

 

इस मामले में लालू यादव पर 96 फर्जी वाउचर के जरिए दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप है। ये पैसे जानवरों के खाने के सामान, दवाओं और कृषि उपकरण के वितरण के नाम पर निकाले गए थे। उस दौरान पैसे के आवंटन की सीमा अधिकतम एक लाख 50 हजार ही थी। जब यह निकासी हुई थी लालू उस समय मुख्यमंत्री थे। कानून विशेषज्ञों की राय में लालू पर जिन धाराओं में आरोप लगे हैं, अगर दोष सिद्ध हो गया तो उन्‍हें 10 साल की सजा हो सकती है।

तीन मामलों में हो चुकी सजा - 

 

लालू यादव चारा घोटाला में दर्ज मामलों में अबतक तीन में दोषी ठहराए जा चुके हैं। लालू को चाईबासा कोषागार के दो मामलों मामले में पांच-पांच साल तथा देवघर कोषागार मामले में साढ़े तीन साल की सजा मिल चुकी है। दुमका कोषागार में घोटाला मामले में सजा का एलान आज होना था। डोरंडा कोषागार से जुड़ा चारा घोटाले का पांचवा मामला सबसे बड़ा है, जिसमें करीब 139.35 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप है।

फिलहाल रांची जेल में सजा काट रहे लालू -

फिलहाल वे रांची के होटवार सेंट्रल जेल में सजा काट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार चारा घोटाला में लगातार तेज सुनवाई हो रही है। इसी का नजीजा है कि चारा घोटाला के मामलों में एक के बाद एक लगाातर फैसले आ रहे हैं।

इन 31 अभियुक्तों पर आएगा फैसला -

- लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री

- डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मुख्यमंत्री

- ध्रुव भगत, तत्कालीन अध्यक्ष, लोक लेखा समिति

- डॉ. आरके राणा, पूर्व सांसद

- जगदीश शर्मा, तत्कालीन अध्यक्ष लोक लेखा समिति

- विद्यासागर निषाद, पूर्व मंत्री

- अधीप चंद्र चौधरी, कमिश्नर आइटी

- अरुण कुमार सिंह, पार्टनर विश्वकर्मा एजेंसी

- अजित कुमार शर्मा, प्रोपराइटर लिटिल ओक

- विमल कांत दास, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर

- बेक जूलियस, तत्कालीन सचिव

- बेनू झा, प्रोपराइटर लक्ष्मी इंटरप्राइजेट

- गोपी नाथ दास, प्रोपराइटर, राधा फार्मेसी

- केके प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर

- लाल मोहन प्रसाद, प्रोपराइटर आरके एजेंसी

- मनोरंजन प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर

- एमसी सुवर्णों, तत्कालीन डिविजनल कमिश्नर

- महेश प्रसाद, तत्कालीन सचिव

- एमएस बेदी, प्रोपराइटर सेमेक्स क्रायोजेनिक्स

- नरेश प्रसाद, प्रोपराइटर वायपर कुटीर

- नंद किशोर प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर

- ओपी दिवाकर, तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक

- पंकज मोहन भुई, तत्कालीन एकाउंटेंट

- पितांबर झा, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर

- पीसी सिंह, तत्कालीन सचिव

- रघुनाथ प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर

- राधा मोहन मंडल, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर

- राजकुमार शर्मा, ट्रांसपोर्टर

- आरके बगेरिया, ट्रांसपोर्टर

- सरस्वती चंद्रा, प्रोपराइटर, एसआर इंटरप्राइजेज

- एसके दास, तत्कालीन असिस्टेंट

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