मल्टीमीडिया डेस्क। 17 मार्च का दिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में विशेष महत्व रखता है क्योंकि 22 साल पहले 1996 में इस दिन क्रिकेट में क्रांतिकारी बदलाव आया था। श्रीलंका ने सभी को चौंकाते हुए लाहौर में ऑस्ट्रेलिया को 7 विकेट से हराकर पहली बार विश्व कप विजेता बनने का श्रेय हासिल किया था।
इस टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले किसी ने भी श्रीलंका के विश्व चैंपियन बनने की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन अर्जुन रणतुंगा के शेरों ने सभी के मंसूबों को ध्वस्त कर यह मुकाम हासिल किया। अरविंद डीसिल्वा की इस जीत में अहम भूमिका रही थी और वे सेमीफाइनल के बाद फाइनल के भी मैन ऑफ द मैच बने थे।
श्रीलंका ने इस विश्व कप में धमाकेदार प्रदर्शन किया और क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में इंग्लैंड और भारत को शिकस्त दी। इसके बाद लाहौर में हुए फाइनल में उसने आसानी से ऑस्ट्रेलिया का शिकार किया। ऑस्ट्रेलिया को 241/7 पर रोकने के बाद उसने 22 गेंद शेष रहते 3 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल किया। इस मैच में डीसिल्वा ने ऑलराउंड प्रदर्शन किया। उन्होंने शतक (107 नाबाद) लगाने के साथ ही 3 विकेट लिए और दो कैच भी लपके। इसी के चलते उन्हें मैच प्रमुख चुना गया।
श्रीलंका ने इस टूर्नामेंट के दौरान वनडे क्रिकेट को नया आयाम दिया। सनत जयसूर्या और रोमेश कालूवितर्णा की सलामी जोड़ी ने शुरुआती ओवरों में तेजी से रन बनाने का फॉर्मूला बनाया जो इस टीम के लिए लाभदायक साबित हुआ। जयसूर्या मैन ऑफ द सीरीज चुने गए।
श्रीलंका की विश्व कप जीत खेलों के इतिहास में सबसे बड़े उलटफेरों में से एक के रूप में दर्ज है। सट्टा बाजार में भी श्रीलंका का जीत का भाव सबसे कम था, लेकिन इस टीम ने सभी पुर्वानुमानों को झुठलाते हुए हर टीम पर शानदार जीत दर्ज की।
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